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सामने रखकर उसके पीछे ही लगे रहनेकी वृत्तिवाले उत्साही तरुण या तरुशियोंके लिए यह आवश्यक है कि वे प्रथम उस क्षेत्रमें ठोस काम करनेवाले अनुभवियोंके पास रहकर कुछ समयतक तालीम लें और अपनी दृष्टि स्पष्ट और स्थिर बनाऐं | इसके बिना प्रारम्भमें प्रकट हुया उत्साह बीच में ही मर जाता है या कम हो जाता है और रूढ़िगामी लोगोंको उपहास करनेका मौका मिलता है । फरवरी १६५१ ]
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[ तरुण,
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