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________________ ३१० जैन धर्म और दर्शन होनेवाला वचनवर्गणाका आलम्बन है और आभ्यन्तर कारण वीर्यान्तरायकर्म का क्षय-क्षयोपशम तथा मतिज्ञानावरण और अक्षरश्रुतज्ञानावरण आदि कर्म का क्षयक्षयोपशम (वचनलब्धि) है। (ग) बाह्य और आभ्यन्तर कारण जन्य गमनादि-विषयक आत्मा का प्रदेशपरिस्पन्द 'काययोग' है। इसका बाह्य कारण किसी-न-किसी प्रकार की शरीरवर्गणा का आलम्बन है और आभ्यन्तर कारण वीर्यान्तरायकर्म का क्षय-क्षयोपशम है। यद्यपि तेरहवें और चौदहवें, इन दोनों गुणस्थानों के समय वीर्यान्तरायकर्म का क्षयरूप आभ्यन्तर कारण समान ही है, परन्तु वर्गणालम्बनरूप बाह्य कारण समान नहीं है। अर्थात् वह तेरहवें गुणस्थान के समय पाया जाता है, पर चौदहवें गुणस्थान के समय नहीं पाया जाता। इसीसे तेरहवें गुणस्थान में योग-विधि होती है, चौदहवें में नहीं। इसके लिए देखिए, तत्त्वार्थराजवार्तिक ६, १, १०। योग के विषय में शंका-समाधान (क) यह शङ्का होती है कि मनोयोग और बचनयोग, काययोग ही हैं; क्योंकि इन दोनों के योगों के समय, शरीर का व्यापार अवश्य रहता ही है और इन योमों के पालम्बनभूत मनोद्रव्य तथा भाषाद्रव्य का ग्रहण भी किसी-न-किसी प्रकार के शारीरिक-योग से ही होता है। इसका समाधान यही है कि मनोयोग तथा वचनयोग, काययोग से जुदा नहीं हैं, किन्तु काययोग-विशेष ही हैं। जो काययोग, मनन करने में सहायक होता है, वही उस समय 'मनोयोग' और जो काययोग, भाषा के बोलने में सहकारी होता है, वही उस समय 'वचनयोग' माना गया है। सारांश यह है कि व्यवहार के लिए ही काययोग के तीन भेद किये हैं। - (ख) यह भी शङ्का होती है कि उक्त रीति से श्वासोच्छास में सहायक होनेवाले काययोग को 'श्वासोच्छ्रासयोग' कहना चाहिए और तीन की जगह चार योग मानने चाहिए। इसका समाधान यह दिया गया है कि व्यवहार में, जैसा भाषा का और मनका विशिष्ट प्रयोजन दीखता है, वैसा श्वासोच्छ्रासका नहीं। अर्थात् श्वासोच्छास और शरीर का प्रयोजन वैसा भिन्न नहीं है, जैसा शरीर और मन-वचन का । इसी से तीन ही योग माने गए हैं। इस विषय के विशेष विचार के लिए. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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