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जैनधर्म और दर्शन
आचार-विचार का एक प्रामाणिक संग्रह ऐसा बना रक्खा कि जो आज भी जैनधर्म के असली रूप को विशिष्ट रूप में देखने का एक प्रबल साधन है ।
अब एक प्रश्न यह है कि दिगम्बर - संप्रदाय में जैसे नियुक्ति अंशमात्र में भी पाई जाती है, वैसे मूल 'श्रावश्यक' पाया जाता है या नहीं ? अभी तक उस संप्रदाय के 'आवश्यक - क्रिया' संबन्धी दो ग्रन्थ हमारे देखने में आए हैं। जिनमें एक मुद्रित और दूसरा लिखित है। दोनों में सामायिक तथा प्रतिक्रमण के पाठ हैं । इन पाठों में अधिकांश भाग संस्कृत है, जो मौलिक नहीं है । जो भाग प्राकृत है, उसमें भी नियुक्ति के आधार से मौलिक सिद्ध होनेवाले 'आवश्यकसूत्र' का अंश बहुत कम है । जितना मूल भाग है, वह भी श्वेताम्बर संप्रदाय में प्रचलित मूल पाठ की अपेक्षा कुछ न्यूनाधिक या कहीं-कहीं रूपान्तरित भी हो गया है ।
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'नमुक्कार, करेमि भंते, लोगस्स. तस्स उत्तरी, अन्नत्थ, जो मे देवसि यारो को, इरियावहियाए, चत्तारि मंगलं. पडिक्कमामि एगविहे, इणमेव निग्गन्थपावयणं तथा वंदित्तु के स्थानापन्न अर्थात् श्रावक - धर्म - सम्यक्त्व, बारह व्रत, और संलेखना के अतिचारों के प्रतिक्रमण का गद्य भाग', इतने मूल 'श्रावश्यक सूत्र' उक्त दो दिगम्बर-ग्रन्थों में हैं ।
इनके अतिरिक्त, जो बृहत्प्रतिक्रमण - नामक भाग लिखित प्रति में है, वह श्वेताम्बर-संप्रदाय-प्रसिद्ध पक्खिय सूत्र से मिलता-जुलता है । हमने विस्तार भय से उन सब पाठों का यहाँ उल्लेख न करके उनका सूचनमात्र किया है । मूलाचार - गतं 'श्रावश्यक - नियुक्ति' की सब गाथाओं को भी हम यहाँ उद्धृत नहीं करते। सिर्फ दो-तीन गाथात्रों को देकर अन्य गाथात्रों के नम्बर नीचे लिख देते हैं, जिससे जिज्ञासु लोग स्वयं ही मूलाचार तथा 'श्रावश्यक निर्युक्ति' देख कर मिलान कर लेंगे ।
प्रत्येक 'आवश्यक' का कथन करने की प्रतिज्ञा करते समय श्री वट्टकेर स्वामी का यह कथन कि 'मैं प्रस्तुत 'श्रावश्यक' पर नियुक्ति कहूँगा' - ( मूलाचार, गा० ५१७, ५३७, ५७४, ६११, ६३१, ६४७ ), यह अवश्य अर्थ - थ-सूचक है; क्योंकि संपूर्ण मूलाचार में 'श्रावश्यक का भाग छोड़कर अन्य प्रकरण में 'निर्युक्ति' शब्द एक-आध जगह आया है । पडावश्यक के अन्त में भी उस भाग को श्री वट्टकेर स्वामी निर्युक्ति के नाम से ही निर्दिष्ट किया है (मूलाचार, गा० ६८६, ६६०
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इससे यह स्पष्ट जान पड़ता है कि उस समय श्री भद्रबाहु-कृत नियुक्ति का जितना भाग दिगम्बर सम्प्रदाय में प्रचलित रहा होगा, उसको संपूर्ण किंवा
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