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________________ २४३ दिला कर ही महाभारत' सन्तुष्ट नहीं हुश्रा । उसके अथक स्वर को देखते हुए कहना पड़ता है कि ऐसा होना संभव भी न था। अतएव शान्तिपर्व और अनुशासनपर्व में योगविषयक अनेक सर्ग वर्तमान हैं, जिनमें योग की अथेति प्रक्रिया का वर्णन पुनरुक्ति की परवा न करके किया गया है। उसमें बाणशय्या पर लेटे हुए भीष्म से बार बार पूछने में न तो युद्धिष्ठिर को ही कंटाला आता है, और न उस सुपात्र धार्मिक राजा को शिक्षा देने में भीष्म को ही थकावट मालूम होती है। योगवासिष्ठ का विस्तृत महल तो योग की भूमिका पर खड़ा किया गया है। उसके छह र प्रकरण मानों उसके सुदीर्घ कमरे हैं, जिनमें योग से संबन्ध रखनेवाले सभी विषय रोचकतापूर्वक वर्णन किये गए हैं। योग की जो-जो बातें योगदर्शन में संक्षेप में कही गई हैं, उन्हीं का विविध रूप में विस्तार करके ग्रन्थकार ने योगवासिष्ठका कलेवर बहुत बढ़ा दिया है, जिससे यही कहना पड़ता है कि योगवासिष्ठ योग का ग्रन्थराज है। पुराण में सिर्फ पुराणशिरोमणि भागवतको ही देखिए, उसमें योग का सुमधुर पद्यों में पूरा वर्णन है। योगविषयक विविध साहित्य से लोगों की रुचि इतनी परिमार्जित हो गई थी कि तान्त्रिक संप्रदायवालों ने भी तन्त्रग्रन्थों में योग को जगह दी, यहाँ तक कि योग तन्त्र का एक खासा अंग बन गया । अनेक तान्त्रिक ग्रन्थों में योग की चर्चा है, पर उन सब में महानिर्वाणतन्त्र, षट्चक्रनिरूपण आदि मुख्य हैं। समं कायशिरोग्रीवं धारयनचलं स्थिरः । संप्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् ॥१३॥ प्रशान्तात्मा विगतभीब्रह्मचारिव्रते स्थितः । मनः संयम्य मच्चित्तो युक्त श्रासीत मत्परः ।।१४॥ अ० ६ १ शान्तिपर्व १६३, २१७, २४६, २५४ इत्यादि । अनुशासनपर्व ३६, २४६ इत्यादि। २ वैराग्य, मुमुक्षुन्यवहार, उत्पत्ति, स्थिति, उपशम और निर्वाण । ३ स्कन्ध ३ अध्याय २८। स्कन्ध ११. अ० १५, १६, २० श्रादि । ४ देखो महानिर्वाणतन्त्र ३ अध्याय । देखो Tantrik Texts में छपा हुआ षट्चक्रनिरूपण ऐक्यं जीवात्मनोराहुर्योगं योगविशारदाः। शिवात्मनोरभेदेन प्रतिपत्ति परे विदुः ।। पृ"८२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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