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________________ १८१ अधिनाभाव या अर्चटोक्त व्याप्यधर्मरूप है । सिद्धान्तव्याप्तिमें जो व्यापकत्वका परिष्कारांश' है वही अर्चटोक्त व्यापकधर्मरूप व्याप्ति है। अर्थात् अर्चटने जिस व्यापकधर्मरूप व्याप्तिको गमकत्वानियामक कहा है उसे गंगेश व्याप्ति ही नहीं कहते, वे उसे व्यापकत्व मात्र कहते हैं और तथाविध व्यापकके सामानाधिकरण्यको ही व्याप्ति कहते हैं । गंगेशका यह निरूपण विशेष सूक्ष्म है। गंगेश जैसे तार्किकोंके अव्यभिचरितत्व, व्यापकत्व आदि विषयक निरूपण श्रा० हेमचन्द्र की दृष्टि में पाए होते तो उनका भी उपयोग प्रस्तुत प्रकरण में अवश्य देखा जाता। __व्याप्ति, अविनाभाव, नियतसाहचर्य ये पर्यायशब्द तर्कशास्त्रोंमें प्रसिद्ध हैं । अविनाभावका रूप दिखाकर जो व्याप्तिका स्वरूप कहा जाता है वह तो माणिक्यनन्दी ( परी० ३. १७, १८) श्रादि सभी जैनतार्किकोंके ग्रन्थों में देखा जाता है पर अर्चटोक्त नए विचारका संग्रह आ० हेमचन्द्र के सिवाय किसी अन्य जैन तार्किकके ग्रन्थमें देखने में नहीं आया। परार्थानुमान के अवयव परार्थ अनुमान स्थलमें प्रयोगपरिपाटीके सम्बन्धमें मतभेद है। सांख्य तार्किक प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्टान्त इन तीन अवयवोंका ही प्रयोग मानते हैं (माठर० ५)। मीमांसक, वादिदेवके कथनानुसार, तीन अवयवोंका ही प्रयोग मानते हैं (स्याद्वदर० पृ० ५५६)। पर श्रा० हेमचन्द्र तथा अनन्तवीर्यके कथनानुसार वे चार अवयवोंका प्रयोग मानते हैं ( प्रमेयर० ३. ३७) । शालिकनाथ, जो मीमांसक प्रभाकरके अनुगामी हैं उन्होंने प्रकरणपञ्चिकामें (पृ० ८३-८५), तथा पार्थसाथि मिश्रने श्लोकवार्तिककी व्याख्यामें ( अनु० श्लो० ५४ ) मीमांसकसम्मत तीन अवयवोंका ही निदर्शन किया है । वादिदेवका कथन शालिकनाथ तथा पार्थसारथिके अनुसार ही है पर श्रा० हेमचन्द्र तथा अनन्तवीर्यका नहीं। अगर श्रा० हेमचन्द्र और अनन्तवीर्य दोनों मीमांसक १. 'प्रतियोग्यसमानाधिकरणयत्समानाधिकरणात्यन्ताभावप्रतियोगितावच्छे. दकावच्छिन्नं यन्न भवति"-चिन्ता० गादा० पृ० ३६१ । २. 'तेन समं तस्य सामानाधिकरण्यं व्याप्तिः ।।'-चिन्ता गादा० पृ० ३६१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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