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सच्चे अर्थ में उसके साथ कई बातें अनिवार्य रूपसे जुड़ी हुईं हैं जिनके बिना नवभारतका निर्माण संभव नहीं । जमींदार जमीनका दान करे, धनवान् संपत्ति का दान करे । पर इसके सिवा भी श्रात्मशुद्धि श्रनेक रूपसे श्रावश्यक है । आज चारों ओर शिकायत रिश्वतखोरीकी है । बिहारके राजतंत्रवाहक इस क्षतिको निर्मूल करेंगे तो वह कार्य विशेष आशीर्वादरूप सिद्ध होगा । और देश के अन्य भागों में बिहार की यह पहल अनुकरणीय बनेगी । ऊपर जो कुछ कहा गया है वह सब महाबीर, बुद्ध, गांधीजी वगैरहकी सम्मिलित अहिंसाभावना से फलित होने वाला ही विचार है जो हर जन्मजयन्ती पर उपयुक्त है ।
[ वैशाली - संघ द्वारा आयोजित भ० महावीर जयन्तीके अवसरपर अध्यक्ष पद से दिया गया व्याख्यान – ई० १६५३ । ]
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