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________________ पंक्ति Go माटे ज. महानि ग्रंथीय रचना सं. संवत् कडवक शुद्ध शुद्धि-पत्र भूमिका अशुद्ध माटे ज महानिग्रंथाय खना स. टिप्पण १ मा उमेरो:- पृ. १९१. सं त् मूळ पाठ पंक्ति अशुद्ध सुनदं जिणि-दिन्नी हिडइ बिंबंह ग-तार दति दतग्गल उबरु अगि... सउ उ कलकु कलती हियउ न पेल्लिउ कहि कतु सकलकु सहावउ कबिहि सुनंद जिण-दिन्नी हिंडइ yawn mw " . . . . . चिंबई तुंग-तार दंति दंतग्गल -उंबरु अंगि ... सउ मुट्ठउ कलंकु कलंती हियर्ड नं पेल्लिउ कहिं कंतु सकलंकु सहावलं कबिहिं ताल तालं सह सई . कचणु उबर सपत्ता वदुर सुदरि सुदरु चडाविउ ...मदिरि तस्सावहति लछियउ कुन्वतु...गजिउ कंचणु उंबर संपत्ता वंदुर सुंदरि सुंदर चडाविअ....मंदिरि तस्सावहंति लंछियउ कुवंतु...गंजिउ . . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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