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गह-गणिउ भणहिं जो जोइसीय
पूयई बहु मंगल राहु केउ मंनिग जोइन पिंगल भणति चउअ य मंडल पूयंति अवरे विमास जव सरिसवाई गुग्गल दहंति मुद्दा धरेउ जुज्नंति विज्ञ सीयल पलेव काढेइ रस दिज्जहिं चंदणाई पाईज्जहि सीयल एल-नौर कय होम-संति दिय चाउनेय घय- टिल्ल कुंभ गाविहिं सवच्छ जुत्ता हल वाहण भूमि- दाण
एवंविह विज्ञ्जह वेयण नवि फिट्टइ
अणाहि महरिसि संधि
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इत्थंतरि महु माय समागय
भणइ वच्छ तुइ कई कई दुक्खइ बंधव जिट्ट फिरहिं चउ - पक्खिहि जे समस्थ अरि-दल संहारहिं जे कणिट्ठ मह वल्लह भाई य est भणहिं किं भाइय किज्ज जिट्ठ बहिण मंगल बोलती य अवरि कणिट्ठ सगी य सवक्किय अन्न वि सुसर वग्ग सालय-जण मित्त चयहिं जे जीउ मह कारणि
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धत्ता
राय सविज्जह
दाहु न त्रुट्टइ
रवि - शह-पीड सुणि विप्प ईय
नव-गह पूया कीरंति ते उ
जल - रक्खसु रय- पीडा करंति बलि दी कुसुम नवि पीड जंठि ताडंति लक्षण जलणस्स माहिं नवि सकइ पीड को अवरेउ चंदण-पउमिणि-जल-जोय सेय सक्कर परितिज्जइ चाउचाई घल्लज्जइ अच्छण अल्ल चर दिज्जति दाण बहु विविइ-भेय बहु उडद लोण तिल रोह रच्छ दिजहिं तेडवि दियवर पहाण
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गय निष्फल उववाय सवि हउं चिंतेमि अणाहु भुवि
पुत्त-सोगि रोएवा लग्गिय
सौगु करइ पुणु दुक्खु न रक्खइ हुय सन्नद्ध-बद्ध भड-लक्खिहिं मह अगाह ते पीड न वारहिं ते महु दुक्ख सुणवि सहु आविय तो नवि वेयण लइ न हु विविज्ज (1) सुणवि पीड मह पासि पहुत्तिय दाहु न फिट्ट कन्हइ थक्किय माहव माउल मिलिय सदुह-मण निरथ दुह सायर-तारणि
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1. हिं. 2. कुसम 3. अवदारेड 4. हिज च० 5. पायज्जद्दि 6 हउ 7. पक्खय १५
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