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________________ १८९ दुहवण दुःख, दुभावू दोपडी ९८ बे-जीभी १ ठगारी वात कर नारी ? दंग गाम धीज सोचनु पारखं धुरि आरंभे, शरूमा धूण् धुणावq धूपधाणां धूपदानीओ नमया नर्मदा नवबारही नव योजन पहोळी, बार योजन लांबी नष्टचर्या रात्रिचर्या नहोतउ, नहींतो नहीतरि नहितर नानउ नानो, मानो बाप नालेरी नाळिएरी नाव् न आवडवू, न घटवू नांद् आनं देत यवु, सुखी-समृद्ध थQ निआणउं निदान, नियाj निभ्रंकू निंदवू निवरउं निर्जन, एकांत निवाइ निर्वाते, एकांते निहुँतर् नोतरवु नीगम् वीताव, गाळवू नीठ ६९ नष्टप्राय ? दीन-हीन ? नीठर निष्ठुर नोठाइ, नीठालू नाश करवो नेडालि दामणी नेसाल निशाळ पइल पेलु पइसारउ प्रवेश पउद् पोढवु पउण पोj परंतार महावत पखाल स्नान पगई पगि पगले पगले पग-धोअण. पग धोवा, पाणी पच्चखाण पचखाण [अमुक पाप कर्मनो त्याग करवानी बाधा] पछोकड पछवाडे पजून प्रद्युम्न पजूसण (पाठांतर : पजूसरण) पर्युषण पडख , पडिख वाट जोवी, प्रतीक्षा करवी पडगह प्रतिग्रह, वाटका जेवू पात्र पडहउ पडो, घोषणानो ढोल पडूतर प्रत्युत्तर पतगर् कबूल करवु, खातरी आपवी पतीज् विश्वास बेसवो, प्रतीति थवी परहुणउ परोणो पराव् पारणुं कराव, परिअछि, परियछि पडदो परिठव् स्थापq परीछ समजवु, जाणवू पवाडउ पराक्रम, पराक्रमनो जश परोक्ष हूउ मृत्यु पाम्यो पसाय भेट पहिडू ४४ फटकवू, विचार बदलवो, फरी ज पहिरणउं पहेरण पंचयज्ञ पांचजन्य (कृष्णनो शंख) पाखर घोडान कवच पाडू खराब पात्र गणिका पाथउ ४६ ? पाधर सीधे सीधु, पाधलं, मात्र, केवळ पारिणेत पानेतर पालट पलटावं, बदलावू पालि पल्ली, चोरोनो वास पाशी, पासउ फांसो पाहुरी प्राहरिक, पहेरेगीर पीतरीउ पितराई पूजनीक पूजनीय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002655
Book TitleSilopadesamala Balavbodh
Original Sutra AuthorMerusundar Gani
AuthorH C Bhayani, R M Shah, Gitaben
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size14 MB
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