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________________ १५९ उववास (उपवास)-१२६३ चउविहअणत्थदंड(चर्तुविध अनर्थदंड)उवसम (उपशम)-४३४ ६७९. एगारसंग सुयं-(एकादशअंग सूत्र) । चउविहदाण (चर्तुविधदान)-१०१८. कंखा (काङ्क्षा)-१५५६ चक्कवट्टी (चक्रवर्ती)-९९८ कम्म (कर्म)-७८ चरण (चरण)-११७३ कम्म परिणइ (कर्मपरिणति)-गद्यखंड चारणसमण (चारण श्रमण)-६१४ ८, १९, ११५९ चारित्त (चारित्र)-७२, ९८२ कम्म रासि (कर्मराशि)-९७८. चारित्त मोहणीय कम्म (चारित्र कसाय (कषाय)-१५६१, १२४५. मोहनीय कर्म ) -८७ काल (काल)-७८, १९४, ६९० छउमत्थ (छद्मस्थ)-१२१७. केवलणाण (केवल ज्ञान)-१२१९, जइधम्म (यति धर्म)-११५५. - १४२७ जयणा (यतना)-१२७९, १२९३, के वली (के वली)-९७७, ९७८, १३०५. १४२२. जाइनाण (जातिज्ञान)-३०४, ११५२. खमा (क्षमा)-४३३ जाइसरणनाण (जाति स्मरण ज्ञान )खवग सेणि (क्षपक श्रेणि)-गद्यखंड २२, ११३७. जिण-दिक्खा (जिनदिक्षा)-१२१६. गिहिलिंगी (गृहस्थलिंग-सिध्ध)-६८७ जीव (जीव)-७८, ७९, ८०, ५४६. गुणव्वय (गुण व्रत)-६७९, ६८१ जीवाजीव (जीव-अजीव)-६७५, चंदायण (चांद्रायण)-१३८३ . ६८२, ७९१. चउकसाय (चर्तुकषाय)-५९, ४३० ज्झाण (ध्यान) -४२९, ४३३, १२४४. १२४४. . चउगइ (चर्तुगति)-२७. . णाण (ज्ञान)-४३४, ५४४, ११०२. चउत्तीस अइसय (चतुर्चीस अतिशय)१२१९. णाणावरणउदय ( ज्ञानावरण-उदय)चउरासी जोणि लक्ख (चतुीत्तिलक्ष ११९५. __ योनि)-६४०. णाणावरण दोष (ज्ञानावरण-दोष) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002646
Book TitleSudansana Cariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaloni Joshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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