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अण्णं पि एग-दिवसेणं महियलं कमइ जेत्तियं तुरओ। तह सिग्धगइ-गइंदो उवहुंजउ तेत्तियं बाला।।१०७९।। एवं भणिऊण नराहिवेण पुव्वेण पेसिओ तुरओ। दाहिण-दिसाए हत्थी सूरत्थवणंतरं जाव।।१०८० ।। जत्थ तुरओ निसण्णो घोडागंधूय तं पुरं जायं। जत्थ य मत्त-गइंदो हत्थिउडं(?) नाम तं नयरं ।।१०८१ ।। अवि य(१६४अ) वेलाउलाई अट्ट य अद्वेव सयाई तह य गामाणं। दिण्णाइं निवसुयाए जियसत्तु-निवेण तुट्टेण।।१०८२।। एवं कय-सम्माणा सुदंसणा कइयणेहिं थुन्वंती। जियसत्तु-निवेणं समं पत्ता भरुयच्छ नयरं सा।।१०८३।। तं च केरिसं निएइ? कत्थइ धावंत-तुरंग-'खुर-रवुच्छलिय-बहल-रय-निवहं। रय-निवह-रुद्ध-पसरंत-तरणि-कर-णियर-संघायं ।।१०८४ ।। पसरंत-तरणि-कर-णियर-वियसियासेस-सेय-सयवत्तं । स(१६४ब)यवत्त-सुरहि-रय-गंध-लुद्ध-परिभमिर-भमर-उलं ।१०८५/ भमर-उल-रुव्व(?रुद्ध)पंकय-रय-गंध-सुयासियंबु-संघाया
अंबु-सुय-वाह-पूरिय-तडाग-पोक्खरिणि-रमणीयं ।।१०८६ ।। रमणीय-रायहंस-उल-पंति-महुर-सर-हरिय-जुवइ-मणं । जुवइ-मण-जणिय-परिओस सुसर-मंजीर-रव-मुहलं।।१०८७।। मुहल-सिहि-णिवह-सोहिय-'चउपास-भमंत-तुंग-पायारं। पायार-पास-परिभमिय-तिउण-पिहु-खाइया-विसमं ।।१०८८।। विसम-कुट्टग्ग-विरइय-फिरंत(१६५अ)-जंतुच्छलंत-दीह-सिलं। दीह-सिलाबद्ध-सुयाण-पंति-वर-पोलि-कय-सोहं।।१०८९ ।। इय एवं चउपासं निएवि पविसेइ जाव नयरं सा।
ता पिच्छा छुह-सुसीयाई तुंग-भवणाई विउलाई।।१०९०।। १. तुरंग खुर खुर. २. चपाउस.
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