SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रसन्न होकर पद्मसुन्दर को कंबल पालकी और गांव बक्षिस में दिये और सम्मानित किया। पद्मसुन्दर के गुरु आनन्दमेरु भी बाबर और हुमायु से सम्मानित थे। कवि पद्मसुन्दर रायमल्ल, मालदेव और अकबर के समकालीन होने से वे इस्वी सन की १६वी शती में हुए । हीरविजयसूरि की अकबर से भेंट सने १५८३ में हुई थी, तब अकबरने हीरविजयसूरि से कहा कि पद्मसुन्दर मेरे आश्रित थे और उन्होंने अपना ग्रंथसंग्रह मुझे समर्पित किया है। 1। इससे फालत होता है कि सने १५८३ से दो-तीन वर्ष पूर्व ही पद्मसुन्दर का निर्वाण हुआ होगा । अतः पद्मसुन्दर का निर्वाणवर्ष सने १५८० हो सकता है । संवत १६२५ (इ. स. १५६९) वैशाख वद १२ के दिन तपागच्छीय बुद्धिसागर द्वारा खरतर साधुकी तिजी का सम्राट की सभा में विजय हुआ तब पद्मसुन्दर आग्रा में थे, ऐसा अगरचंद नाहटा ने प्रस्तुत किया है121 अतः पद्मसुन्दर की विधिमानता सने १५२० से १५८० तक थी ऐसा सिद्ध होता है । उनकी आयु ६० वर्ष की मानी जाय । साहित्य सर्जन का समय १५४५ से १५८० माना जाय । कविश्री पनसुन्दर की कृतियाँ पद्मसुन्दर विद्वान कवि हैं । उन्होंने संस्कृत-प्राकृत में कई ग्रंथों की रचना की है। वे अनेक शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनकी रचनाएँ अलंकारशास्त्र, ज्योतिष, व्याकरण, न्याय, नीति, स्तोत्र, चरित्र, महाकाव्य, कोश आदि अनेक विषयों में अव्याहत गति रखती हैं । प्रकाशित कृतियाँ : (१) अकबरशाही शूगारदर्पण (२) कुशलोपदेश (३) प्रमाणसुन्दर (४) ज्ञानचन्द्रोदयनाटक (५) पार्श्वनाथचरित महाकाव्य ९. साहे: संसदि पद्मसुन्दरगणिजित्वा महापण्डित क्षीमग्रामसुखासनाद्यकबरश्रीसाहितो लब्धवान् । हिन्दूकाधिपमालदेवनृपतेर्मान्यो वदान्योऽधिकं श्रीमद्योधपुरे सुरेप्सितवचाः पद्माह्वयः पाठकः ।।-श्रीहर्षकीर्तिकृतधातुतरङ्गिणी मान्यो बाबरभूभुजोडर जयराट् तद्वत् हमाऊं नृपोत्यर्थ प्रीतमनाः सुमान्यमकरोदानन्दरायाभिधम् । तद्वत् साहिशिरोमणेरकबरक्ष्मापालचूडामणेन्यिः पण्डितपद्मसुन्दर इहाभूत् पण्डितव्रातजित् ।। .. _ अकबरशाही शृङ्गारदर्पण, पृ. २० ११. जैन गूर्जर कविओ, मोहनलाल दलीचन्द देसाई, पृ. ७६१ १२ संस्कृत साहित्य का इतिहास, वाचस्पति. गैरोला, पृ. ३६३-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002642
Book TitleYadusundara Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorD P Raval
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy