________________
रेनचूड-रांसे
गयउ सासरहूं टइंगर करी दिइ आसीस अजरामर सार २६४ जिमवा ऊठाडइ तेतलई माइ- नई हाथिई भूख न होइ २६५ आछण्या चोखा रांधिउ कूर मुझ-नई भूख नथी कांई घणी २६६ प्राणइ किम विलगीजइ बांह जिमाडीइ तु वडइ सासरइ २६७ रसोइ -माहि सूआरिउ राति भूख लागी पणि पेट विदाहि २६८ आछण चोखा दीठा ताम घर-नी स्त्रीई दीठउ तेतलई २६९ होठ बूरी-नई बइठउ तेह कांई जमाई असरीखउं थाइ २७० बोलाविउ बोलइ नहीं ताम वैद्यराज - नइ तेडउं गयडं २७१ जोइ नाडि नइ साहइ वांह धउलउ तंदुल दीठउ सार २७२
माइ वचन जु मन-माहि घरी सासू-नई जई कीध जुहार तिहां जई - नइ बइठउ जेतलइ हिवडां जिमी - नइ आव्या तोइ इम करतां आश्रमियउ सूर ऊठाडिउ वली जिमवा-भणी पहिलडं जमाई आव्या आंह आगइ जिमी आव्या छइ परई जमिसिइ जमाई पणि परभाति कधी माम जि आवी माहि आघउं पाछउं जोवइ जाम गाल भरी बइठउ जेतलइ मोटा गाल देखी संदेह बेटीइ बोलावी माइ ततखिणि आवी सासू जाम
जमाई - नई किसिउं थयउं आविड वैद्य ऊतावलउ तिहां मुख छाया जोई तिणि वारि
२६३. १. ठ. सुडिउ २ ख. सीरामण दीधु.
२६४. १-२. ख.झ. : गयउ सासरइ गहिगह करी, मित्र त्रिणि (झ. च्यारिइं तव) साबिइ धरी. २. ग टंगारव करी; ठ. टिगर.
२६५. २. झ. ऊठउ जिमवा कहिउं.
२६६. २. क. क.ख. झ. आण्या; ख. रांधावा षीर; ग. आछण. ३. ख. राति; ग. ऊठो जमाई जमवा; झ निसि.
१२६७. ४. क. बली जिमता लाजइ ं; विहाणइ ए जिमसिइ.
Jain Education International
ख. जमाइ चडइ; ग. जमाई जाइ तो; झ.
२६८. २. ख.ग. रसोडा. ३. ठ. ठाहि. ४. क. घणी पेट माहि; ग पेट ज माहि
२६९. २. ख.झ अछाडया; ग, आछुण्या; ठ. आछण्या. ३. गं. जाम. ४. ख. अस्त्री जागी; ग. स्त्री दीवो लेई आवी ताम; झ. स्त्री दीवउ ल्यावी तेतल्इ.
२७२. १. पछी ख.मां बधारो : जमाई बइटउ छइ जिहां २. ने बदले झ. : आपकाजि जे छइ आकुलउ | तेहनइ मनि छइ एक ज भूष, द्रव्य करी पामीजइ संध्य. ३. ग. मुख उघाडी, ठ. तिणि वारि; ठ. बधउ तंदल दीठ
सार.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org