SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका १९ समस्या उकेलतो बुद्धिप्रतिभावाळो बाळक; धुतारानगरी, न्यायघटा चार श्रेष्ठीने कहेलु नटपुत्र रोहकनु दृष्टांत औत्पत्तिकी बुद्धिना दृष्टांत तरीके आवश्यकचूर्णि', 'आवश्यकवृत्ति', जयसहिंसूरिकृत 'धमोपदेशमाला-विवरण' तथा ते पछीना अनेक ग्रंथोमा अत्यंत जाणीतु छ. आनी साथे समस्याउकेलना अने असाधारण बुद्धिप्रतिभा घरावता चमत्कारी बाळकना कथाघटको जोडायेला छे. रत्नचूडनुं धुतारानगरीमा आवी पहांचवु अने त्या विविध धुताराओनी फसामणीमाथी शठं प्रति शाठनो सिद्धांत उपयोगमा लईने छूटवु ए घटनाओ पण जाणीता कथाघटकोना निदर्शन रूप छे. शामळनी वार्ताओमां तथा केटलीक लोककथाओमा धुतारानगरी, धूतणानगरी के ठगपुरपाटण ('प्रबंध-पंचशती'मां 'अन्यायपत्तन' तरीके) आपणने जाणीतां छे. धुतारानगरीनुं नाम अहीं 'कूटकटाह' एवं आपेलुं छे (पछी कनकनिधाननी कृतिमा ते 'कूपकटाह' बनी जाय छे !). आमां 'कूट' एटले 'कूडं', 'कपटी' अने 'कटाह'. ए कटाहद्वीप तरीके 'कथासरित्सागर', 'समराइच्चकहा' वगेरे संस्कृतप्राकृत कृतिओमां वारंवार निर्देश पामेलो द्वीप छे. ते कथाकल्पित नथी, परंतु 'कडार' के 'किडार' तरीके ते प्राचीन शिलालेखोमा जाणीतो छे अने ते मलय द्वीपकल्पना दक्षिण भागमा पिनांग पासे आवेलो 'केदाह' के 'केहाह' नामनो द्वीप छे. 'कथासरित्सागर 'नी गुहसेन अने देवस्मितानी कथामां ताम्रलिप्ताथी कटाह गयेला गहसेनने त्यांना चार ठग वेपारीओनो भेटो थयानी जे वात छे ते 'रत्नचूडरास' परत्वे सुचक छे. धुताराओनी सामे रत्नच्डे यमघंटानी सलाहथी जे युक्तिप्रयुक्तिओ प्रयोजी छे तेमां शब्दछळनी युक्तिनो पण समावेश थयेलो छ-'काईक' आपवु, 'कशाक'थी वहाण भरी देव, राजी करवं' वगेरेनों शब्दार्थ लईने धुतारा लुच्चाई करवा मागे छे अने ते ज युक्तिथी रत्नचूड तेमने पाछा पाढे छे. ___रत्नचूड न्यायचंट बधाववानु बचन राजा पासेथी ले छे. १६मी शताब्दीमा मुघल बादशाह जहांगीर न्यायनी सांकळ बंधाव्यानु जाणीतुं छे. पोतानां संस्मरणो 'तुझुक-इ-जहांगीरी 'मां ते जणावे छे के• तेणे (साठ घंटडीवाळी) त्रीश गज लांबी, चार मण सोनानी सांकळनो एक छेडो आगराना किल्लादा बुरज उपर जडेलो अने बीजो छेडो नदी कांठे एक पत्थरना स्तभ पर जडी दीधेलो. जेने अन्याय थयो होय अने न्याय न मळयो होय ते आ न्यायनी सांकळ खोंचे जेथी बादशाहने जाण थाय अने ते न्याय आपे. आनी साथे केटलीक किंवदंतीओ पण संकळायेली छ, जेमके नूरजहांने हाथे शिकार करतां अकस्मात धोबी वींधाई जाय छे तेनो न्याय धोबण न्यायनी सांकळ खोंची जहांगीर पासेथी मेळवे छे. न्यायघंट खोंचीने न्याय मेळव्यानी वात है स १८मां विजयलक्ष्मीसरिरचित 'उपदेशप्रासाद'मां दृष्टांतकथा लेखे आपेलो छे. ते अनुसार कल्याणकटकना यशोवर्मा राजाए न्यायघंट बंधाव्यो त्यारे तेनी कसोटी करवा राज्यनी अधिष्ठात्री देवी गायनु रूप धरो घंट हलावीने पोतानुवाछरडु कोईए कचरी नाख्यानी फरियाद करे छे, अने ५ जेम के 'लालिया धोका'नी अने 'वीरसंग'नी वार्तामां-जुओ 'चतुराईनी कथाओ', संपादक जोरावरसिंह जादव (१९७६). १० जुओ रोजर्स अने बेवरीजनो अंग्रेजी अनुवाद, १९६८नु पुनर्मुद्रग, १, पृ. ७; मजुमदार संगदित 'ध मुघल एम्पायर', १९७५, पृ. १७६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002641
Book TitleRatnachuda Rasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages78
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy