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उखाणां
(एक पानानी हस्तलिखित प्रत मळी छे तेमां उखाणां जेवां वाक्यो मूक्यां छे. प्रारंभमां 'पंडित श्री रत्नभूषणगणि चरणकमलेभ्यो नम:' ए प्रमाणे मूक्युं छे. ते परथी जणाय छे के आ प्रतना लेखक ते गणिना शिष्य होवा घटे.
छेल्ले ‘अर्कनुं पाट' एटलुं लखी प्रत अधूरी मुकाई लागे छे. आ उखाणां जोडकणां जेवां लागे छे. अमे अंग्रेजी भणता त्यारे आवां अंग्रेजी उखाणां बोलता - जेवां के No knowledge without college (कोलेज वगर ज्ञान नहीं), No life without wife (स्त्री विहू[ जीवन नहीं) वगेरे.)
कदली दलितां कांटु नहीं, हाथी- पग राटु नहीं, जेठी सरिखु झोटु नही, आटा पाखई रोटु नहीं, ा वी[?] सरिखु खोटु नहीं, राजा सरिखु मोटु नहीं. सांकडी सेरी ढालु नहीं, संन्यासी ऊचालु नही, गादह कोटि गालु नहीं, परण्या पाखइ सालु नहीं, सुंनइ क्षेत्रिं मालु नहीं, हबसी सरिखु कालु नहीं, आगिनई तु आलु नहीं. जीव पाखइ शांन नहीं, जिण्या पाखइ थांन नहीं, माथा पाखई कान नहीं, वर विहूणी जान नहीं, वाल विहुणु वान नहीं, वूठा पाखइ धांन नहीं. आंबा पाखई साख नहीं, पीपल पाखइ लाख नहीं, आगि विहूणी राख नहीं, वाव्या पाखइ द्राख नहीं, दीठा पाखइ धांख नहीं, कालां माणस भाख नहीं. भुडां माणस ठाम नहीं, कीधा पाखइ काम नहीं. गाम पाखइ सीम नहीं, टाढि पाखइ हीम नहीं. लखिमी पाखइ मान(म) नहीं, भगवंत सरिखं नाम नहीं. उंचइ टीबइ नीर नहीं, उंटना दूधनी खीर नहीं, केळव्या पाखइ हीर नहीं, सालवी पाखइ चीर नहीं. पाया पाखई घर नहीं, धोरी पाखइ धर नहीं, गुर पाखइ मंत्र नहीं, जाण्या पाखइ यंत्र नहीं. प्रीति पाखइ मित्र नहीं, वयर पाखइ शत्रु नहीं. कांत्या विहू[ सूत्र नहीं, पेट विहूणु पूत्र नहीं. नागरवेलिं बीज नहीं, वादल पाखइ वीज नहीं.
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