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लोकाशाह अने लोंकामतविषयक काव्यो
( अमारा पर एक लेखके हिंदीमां 'लोकाशाह कब हुए ?" ए नामनो लेख सन १९२७ना डिसेंबरमां मोकली आप्यो हतो तेमां लोकाशाह नामनी कोई ऐतिहासिक व्यक्ति थवानो शक बताव्यो हतो. आ शक खोटो छे एवं इतिहास कहे छे ए अमोए जाणवा छतां ऐतिहासिक प्रमाणो आप्या वगर लेखक के एना विचारना बीजाने संतोष न थाय तेथी ज्यां सुधी चोक्कस प्रमाणो आखां एकत्रित करी न शकाय त्यां सुधी ए लेखने दाबी राख्यो हतो. ते प्रमाणो लोंकाशाहना समसमयी या तेमना समयनी नजदीकमां थयेलानां होय ते वधु ऐतिहासिक अने विश्वसनीय गणाय एम ते शंकाशील लेखकना लेखमां ज छे. तेथी प्रसिद्ध कवि अने 'विमलप्रबंध' ने गुजराती काव्यमां मूकनार तपागच्छना मुनि लावण्यसमये सं. १५४३ना कार्त्तिक शुद८ ने रविने रोज रची पूर्ण करेल 'सिद्धांत चोपई' आखी, तथा ते समयमां ज थयेल खरतरगच्छना कमलसंयम उपाध्याये रचेल गद्य पुस्तक नामे 'सिद्धांत सारोद्धार - सम्यक्त्वोल्लास टिप्पनक'नी आदिमां १३ कडी गुजराती काव्यमां रची छे ते अहीं मूकी छे बने सामा पक्षना - मूर्तिपूजक होवाथी मूर्तिनिषेधक लोंकाशा संबंधी अंगत कंईक वधु पडतुं जो तेमणे कहेलुं लागे तो ते ते समयना सहज अभिनिवेशने परिणामे खंडनात्मक लखवानुं बनतां तेम बन्युं गाय. अमारा विशे जणावीए छीए के ज्यारे मूल उत्पत्तिनो सवाल शंकावाळो कोईने गणाय, त्यारे तेनी सामे ऐतिहासिक बिनावाळु साहित्य शोधी तेने मूळ आकारमां आपवानी उचितताने लईने सळंग आप्या सिवाय अमारे छूटको नहीं, ए हेतुथी ज ते आपवामां आवेल छे. आमां अमारो हेतु कोईने पण लेशमात्र दूभववानो नथी अने न ज होई शके. वळी अमे कहीशुं के लोंकाशाना अनुयायीओए पोताने त्यांनी सर्व ऐतिहासिक हकीकतो जूनामां जूनां प्रमाणथी बहार पाडवी घटे छे. तेमनो मत बहु चाल्यो ने अनुयायीनी संख्या लगभग श्वेतांबर मूर्तिपूजक जेटली ज थई गई, छतां ते स्थापतां मूळ मंतव्यो शुं हतां, पोते दीक्षा केम न लीधी तथा तेमना नाम परथी पडेला लोंकागच्छ नामना गच्छमां मूर्तिपूजा छे, ज्यारे अन्यमा नथी ज, वगेरे अनेक हकीकत प्रकाशमां लाववानी छे. मूळ मंतव्यो पर लावण्यसमय अने कमलसंयमनां वक्तव्य खास प्रकाश पाडे छे एमां कंई शक नथी. आ बने अमने घणी महेनतथी प्राप्त थला होई पाटण भंडारना वहीवटदारनो उपकार मानीए छीए.
उपर्युक्त बे प्राचीन ग्रंथ परथी सर्वने दीवा जेवुं जणाशे के लोंकाशा ए ऐतिहासिक व्यक्ति छे ज, अने ते विक्रम सोळमी सदीना प्रारंभमां ज. उपरांत ए पण जणाशे के लोंकाशाह अने लखमशी गुरुशिष्य हता अने बने जुदीजुदी ऐतिहासिक व्यक्ति छे.)
१. लावण्यसमयकृत सिद्धांत चोपई
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(रच्या संवत १५४३ का शु८ रवि.)
[ कविपरिचय माटे जुओ 'रावण- मंदोदरी संवाद' आ कृतिना पाठशुद्धिमा ला. द.
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