SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 439
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२४ एक घरेणाखतनो दस्तावेज (आ लेख लूगडा – कापड पर लखायेलो छे अने ते अमने जैन गूर्जर कविओ संबंधीनी हस्तलेखित प्रतानी शोधमा पहेलांप्रथम अमदावाद जतां अमारा मित्र मि. छोटालाल वाडीलाल पासेथी मळेलो. ते अत्यार सुधी साचवेलो ने ते परथी आबाद नकल करी अत्र आपवामां आवे छे. आ लेख सं.१७७१नो छे एटले औरंगजेब बादशाहना पछीना समयनो, तेना मरण पछीना सातमेआठमे वर्षनो छे. ते वखते दिल्हीमा फरोकशीर बादशाह हतो. वजीर नवाब अब्दुल्लाखान हतो अने अमदावादमां सत्ता जोधपुरना अजयसिंह राजाना नायब (दीवान) विजयराजनी प्रवर्तती हती पण अमलदारो बधा मुसलमान हता. पातशाही दीवान मोहोतरमखांन, बक्षी मीा महेरअलीखांन, काजी अब्दुल खेरल्लाखान, मुफती मुल्लां नूरल्ला अने कोटवाल मीा अबूताल्यब नामना हता. ए बधानो उल्लेख आ लेखमा छे अने आ लेख देवनागरी लिपिमा लखायेल छे ने ते वखते केवी जातना दस्तावेज लखाता हता तेनो नमूनो आपणने आथी मळे छे. संस्कृत शब्दो पण अत्रतत्र वपराता हता ने विशेषे गुजराती भाषा वपराती. मुसलमानी वखतमा लखाता दस्तावेजो पैकी बेना नमूना श्री जिनविजये 'पुरातत्त्व' त्रिमासिकमां बहार पाड्या छे अने ते पर पोता- विवेचन पण कर्यु छे. तेमां आ लेखथी एक वधु नमूनानो उमेरो थयो छे. आमां दस्तावेज करी आपनार अने करावी आपनार मोढ गोभूजा वणिक छे अने ते पैकी एकनो वकील (मुखत्यार) ब्राह्मण छे. घरनी चतु:सीमामां जैनोमां प्रसिद्ध नगरशेठ शांतिदासना कुटुंबना फरतखानानो उल्लेख छे. आथी घणी बाबतो पर पडता प्रकाशथी पुरातत्त्वना शोखीनोने आनन्द थशे.) __ श्री गणेशाय नमः. स्वस्त श्रीमन्नृप विक्रमाऽर्क समयातित संवत् १७७१ वर्षे शाके १६३७ प्रवर्त्तमांने असाड वदि ११ भ्रगूवासरे लीषीतमीदं. ग्रह १ तस्य अडाणक परस्पर खतपत्रममी लीष्यंते. समस्त राजावली समलंकृत वैरी वीरूथीनी गजघट्टा कुंभस्थलवीदारणैकएव पंचानना न्यायेन वृक्षोन्मूलन तेज प्रौढ प्रतापमार्तंड रीपूवनदहन दावानल माहाराजाधीराज सूरत्राण पातशाहा श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री ७ पातशाहा फूरूकशाहा बाहाधूरागाजी श्री धल्लामध्ये विजयराज्यं क्रीयते. तत्र वजीरां वजीर श्री ५ नबाब अब्दुल्लाखान. तत्र श्री एंहेंम्मदावाद मध्ये सोबे साहेब माहाराजाजी श्री ५ माहाराजा अजीतशंघजी श्री ज्योद्धपुरमध्ये विराजें छि तेना सकलकार्घ्यकर्ता नायब श्री ५ भंडारी वीजयराजजी धर्मायां प्रवर्ततेत. तत्र पातशाही दीवांन श्री ५ मीर्जी मोहोतरमखान, तत्र बकशी श्री ५ मीर्जी मेंहेंरअलीखान, तत्र काजी श्री ५ शेख अब्दुलखेरल्लांखान, तत्र मुफती श्री ५ मूल्लां नूरल्ला, तत्र कोटवाल श्री ५ मीर्जा अबूताल्यब. तत्र चोतरानो अमल दस्तुर मंडपीका माफ छि. तत्र हवालदार कांहानूंगो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy