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________________ 网 page 83 8888 90 90 119 121 124 124 136 136 141 145 163 163 166 166 166 179 180 183 184 184 191, 191 194 194 195 216 220 221 221 Jain Education International line 7115882222222222 16 13 6. 26 24 29 24. note 2 5 16 19. 19 17 2 22 232 Read ० - साधना विधिरिति स्वर्गोपायत्वेन परोक्तदूषण-स्थानेऽभिषिच्यताम् प्रवर्त्तकत्वं सिद्धविषयिणी ! न भूतललक्षण निर्वाहात् ० - सामयिकापरत्व - ० ० - सामयिकापरत्व - ० पाकादिकमिष्टहेतु (७८-२३) पूर्वोक्तयुक्तेः । नित्यस्थले विषयत्वम् । स्वतः प्रवृत्तिं इच्छा विषयतया -प्रकारता तावत् तत्प्रतियोगिक(Delete the comma) (Delete the danda) अपूर्वोपस्थितिर्निषेधस्थले धर्मी अपूर्वम् तत्क - क्ष्यै व वहन्यभाववदवृत्तिरिति अवच्छेद्यस्य व्यवहर्त्तव्यविशेष्यकत्वम् विशिष्टज्ञानयोरेकः रजतत्ववैशिष्टय पुरोवर्त्तिज्ञानं - स्तर्हि पुरोवर्त्तिविशेष्यकरजतत्वबहे पदार्थवृत्ति गृहाभावो For Private & Personal Use Only For o ० - साधनता विधिरिति सर्वोपायत्वेन परोवतदूषणस्थानऽभिषिच्यताम् न भूतल लक्षणानिर्वाहात् ० - सामयिकपरत्व -- ० ०- सामयिकपरत्व - ० प्रवर्त्तकत्वे सिद्धविषयणी पाकादिका मेष्टहेतु (८७-२३) पूर्वोक्तयुक्तेर्नित्यस्थले विषयत्वम् स्वतः प्रवृत्ति इच्छाविषयतया प्रकार तावत्प्रतियोगिक -- अपूर्वोपस्थितिनिषेधस्थले धर्मी अपूर्वे । तत्क -क्षयैव वहून्यभावदवृत्तिरिति अवच्छेद्ययस् व्यवहर्त्तव्यविशेषकत्वम् विविष्टज्ञानयोरेकः रजत्ववैशिष्टयपुरोर्त्तिज्ञानं - स्तहि पुरोवर्त्तिविशेष्यकरजतबहिः पदार्थवृत्तिनिष्ठ गृहाभावो www.jainelibrary.org
SR No.002636
Book TitleNyayasiddhantadipa
Original Sutra AuthorShashadhar
AuthorBimal Krishna Matilal
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1976
Total Pages270
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size15 MB
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