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________________ ५७२ प्रधुम्नकुमार-चुपई बिहुं पवाडे माहरूं मरण जूझहि कांन्ह पडइ परदवण नारद निसुणि एक मुझ वात हवडां एय करेसिइ घात (रणभूमिमां नारदन आगमन) जव बिहु सुहड भिडइ पचारि वेगइ नारद जई निवारि रूपणि वयण सो मनमांहि धरइ विमानथी हरखिइ ऊतरइ रणि पजून-नारायण जिहां नारद जाइ संपतु तिहां हरि कुमर रथि दीधउ पाउ वाहइ कृष्ण कुमरनइ घाउ ५७३ नारदरिखि क्षण पहुतु जाइ बांह साहीनइ हरि रहइ तव हसि नारद लागु' कहण कृष्ण सांभलु तुम्हे अम्ह वयण ५७४ ( श्रीकृष्ण अने प्रद्युम्ननो परस्पर परिचय) कहु तुझसिउ वात बहुत एह परदवण तुम्हांरु पूत लही दिनि धूमकेत लेई गयु जिमसंवरि घरि मोटउ थयु एणइ जीतिउ सिंहरथ पचारि [पुण्यवंत ए देव मुरारि सोलह विद्या लाभह योग कनकमालसिउं हूयु वियोग पजूनकुमर गिरूयु वरवीर रणि संग्रामइ साहस धीर एह कुंमर पुरषाक्रम घणउ ए हवउ नंदन रूपणि तणउ ५७७ एतलइ कुमर रखि पासइ जाइ तेहसिउ वात कहइ समझाइ ए छइ भलु पिता तम्हतणउ जेहनु बल दोठउ अति घणउ तु प्रदिमन चलिउ तिणि ठाइ जाई लागु केसवपाइ तव नारायण उल्हसिऊ हीयु पजून ऊपाडि उछंगइ लीयु धन्य रुखमणि जे उदरइ धरिउ धन्य रयणि जे ए अवतरिउ धन्य ठाम जिहि ए वृद्धि गयउ धन्य दिन आज मेलु थयु (नारद द्वारा नगरप्रवेशनो प्रस्ताव ) तु नारदरिखि बोलइ ईम चालु नयरइ7 कुसलहखीम कुमर पजन घरि करु प्रवेस नगरी उछव करुं असेस 1. रूंपणि 2. लांगु 3. जिमसवरि 4. संग्रांमइ 5. रूंपणि 6. ऊपांडि 7, नायरइ8. निगरी ५७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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