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________________ १२६ श्रीपार्श्वनाथचरितमहाकाव्य मवद्वागमृतास्वादादेव ! देवामरा वयम् । सुधान्धसामपि सुधा मुधाऽद्य प्रतिभाति नः ॥१७॥ देवाधिदेवस्त्वं स्रष्टा परमेष्ठी पुरुः परः । शम्भुः स्वयंभूर्भगवांस्त्वं पुमानादिपूरुषः ॥१८॥ त्वं विश्तोमुखो विश्वराड् विराडू विश्वदृग् विभुः । विश्वव्यापी विश्वयोनिः वियोनिविश्वभुक् प्रभुः ॥१९॥ स्वमनादिरनन्तश्च परमात्मा परापरः । हिरण्यगर्भोऽधिज्योतिस्त्वमिनस्त्वमयोनिजः ॥२०॥ त्वमक्षरोऽजरोऽक्षय्योऽनक्षरोऽनक्ष ईश्वरः । त्वमच्युतो हरो भव्यबन्धुस्त्वं भव्यभास्करः ॥२१॥ त्वं शंभुः शंभवः शम्बदः शरण्यश्च शङ्करः । त्वं पुराणकविर्वाग्मी त्वं स्याद्वादवदावदः ॥२२॥ योगीश्वरी योगविदां वरस्त्वं धर्मतीर्थकृत् । त्वं धर्मादिकरो धर्मनायको धर्मसारथिः ॥२३॥ धर्मध्वजो धर्मपतिः कर्मारातिनिवर्हणः । स्वमहन्नरिहा सार्वः सर्वज्ञः सर्वदश्यसि ॥२४॥ (१७) हे प्रभो !, आपकी अमृतवाणी के रसास्वादन से हम अमर बने हैं । अमृत जिनको भोजन है ऐसे हमको आज अमृत व्यर्थ मालूम पड़ता है। (१८) आप देवाधिदेव हैं, स्रष्टा हैं, परमेष्ठी हैं, पुरु हैं, परः हैं, शंभु हैं, स्वयंभू हैं, भगवान् हैं, पुमान् हैं एवं आदिपुरुष हैं । (१९) आप विश्तोमुख हैं, विश्वराट् हैं, विराट् हैं, विश्वहक हैं, विभु हैं, विश्वव्यापी हैं, विश्वयोनि हैं, वियोनि हैं, विश्वभुक् है एवं प्रभु हैं। (२०) आप अनादि हैं, अनन्त हैं, परमात्मा हैं, परात्पर हैं, हिरण्यगर्भ हैं, अधिज्योति हैं, इन है, एवं अयोनिज हैं । (२१) आप अक्षर हैं, अजर हैं, अक्षय्य हैं, अनक्षर हैं, अनक्ष हैं, ईश्वर हैं, अच्युत हैं, हर हैं, भव्यबन्धु हैं, एवं भव्यभास्कर हैं । (२२) आप शंभु हैं, शंभव हैं, शम्बद हैं, शरण्य हैं, शंकर हैं, पुराणकवि हैं, वाग्मी हैं, एवं स्योद्वादवदावद हैं । (२३) आप योगीश्वर है, योगविदांवर हैं, धर्मतीर्थकृत् हैं, धर्मादिकर हैं, धर्मनायक हैं, एवं धर्मसारथि हैं । (२४) आ० धर्मध्वज हैं, धर्मपति हैं, कर्मारातिनिबर्हण हैं, अर्हन् हैं, अरिहा हैं, सार्व हैं, सर्वज्ञ हैं, एवं सर्वदर्शी हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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