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________________ पद्मसुन्दर की कृतियाँ : कवि पद्मसुन्दर की कुल २१ कृतियों का उल्लेख हमें प्राप्त होता है। इनमें से चार कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं तथा अन्य कृतियाँ अभी तक अप्रकाशित ही हैं । उनकी छपी हुई कृतियों में से 'अकबरशाही शगारदर्पण' शगार रस पर लिखा हुआ ग्रन्थ है । यह गंगा ओरिएन्टल सीरीज नं० १ से सन् १९४३ में, अनुप संस्कृत लाइब्ररी वीकानेर से प्रकाशित हुआ है । उनकी 'कुशलोपदेश' नामक कृति १० श्रीनगानभाई शाह द्वारा सन् १९७४ में, ला. द. विद्यामंदिर, अहमदाबाद से प्रकाशित संबोधि" नामक त्रिमासिक पत्रिका में भाग ३, नं० २-३ में प्रकाशित की गई है। 'प्रमाणसुन्दर' नामक पमाणविद्या पर लिखा हआ प्रकरण ला० द. विद्यामंदिर, अहमदावाद से प्रकाशित 'जैन दार्शनिक प्रकरण संग्रह' (Jaina Philosophical Tracts) नामक ग्रन्थ में डा० श्रीनगीनभाई शाह द्वारा पृ० १२७-१६. पर सम्पादित किया गया है। 'शानचन्द्रोदयनाटक' का संपादन भी डो. नगीनभाईने किया है । यह कृति ता. द. विद्यामंदिर से प्रकाशित हुई है ! अप्रकाशित कृतियों में जम्बूअज्झयण ( प्राकृत ) की पुष्पिका में कर्ता का नाम उपाध्याय श्रीपद्मसुन्दरगणि लिखा मिलता है पर उनकी गुरुपरम्परा का उल्लेख प्राप्त नहीं होता अत: शंका उठती है कि 'जम्बूअज्झयण' के लेखक पद्ममेरु के शिष्य पद्मसुन्दर ही है अथवा अन्य कोई दूसरे पद्मसुन्दर ।। से उल्लिखित है । इस प्रति के पत्र २१ हैं । क्रमांक ५१२२ है तथा लेखन काल १८ वीं शती का है। इस कृति की भाषा गुजराती है। ___ 'चतु:शरणप्रकीर्णक-बालावबोध' भी देवशापाडा के जैन भंडार, अहमदाबाद की सूची में है। इसका क्रमांक ९४० है । प्रति के पत्र १७ हैं। प्रति में प्रथम चार पत्र नहीं हैं। इस प्रति का लेखन संवत १६०३ है तथा प्रति पर पदमसुन्दरगणि के हस्ताक्षर प्राप्त होते हैं । इन पदमसुन्दर के गुरु का नाम उल्लिखित नहीं होने से निश्चितरूपसे उन के विषय में नहीं कहा जा सकता । चौथी कृति 'भगवतीसूत्र स्तबक' के कर्ता पद्ममुन्दर अपने आप को राजसुन्दरगणि के शिष्य बतलाते हैं। _ 'भगवतीसूत्रस्तवक' (ला०द० विद्यामंदिर, अहमदाबाद का क्रमांक ४८४९) नामक कृति की पुष्पिका में कहा गया है : "श्रीराजसुन्दरगणिचरणकमलभ्रमरतुल्येन उपाध्याय श्रीपद्मसुन्दरगणिना स्वज्ञानावरणीयकर्मक्षयार्थ पंचमाङ्गस्य श्रीभगवतीसूत्रस्य नामधेयस्य स्तबकविवरणं कृत म्।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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