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________________ पद्मसुन्दरसूरिविरचित स्नानान्तरमेवासौ बभासे भूषणैविभुः । सुतरां निर्गतोऽभ्रौघाच्छरदिन्दुरिवांशुभिः ॥१९३॥ निसर्गात् सुन्दरं जैनं वपुर्भूषणभूषितम् । कवेः काव्यमिव श्लिष्टमनुप्रासैर्बभौतराम् ॥१९४॥ धाम्नामिव परं धाम सौभाग्यस्येव जन्मभूः । सौन्दर्यस्येव संवासो गुणानामिव शेवधिः ॥१९५।। सालङ्कारः कवेः काव्यसन्दर्भ इव स व्यभात् । नूनं तद्दर्शनाऽतृप्तः सहस्राक्षोऽभवद्धरिः ॥१९६।। इति प्रसाधितं पार्श्व ददृशुस्ते सुरासुराः । नेत्रैरनिमिषैः पातुकामा इव दिदृक्षया ॥१९७॥ अथ शक्रादयो देवास्तुष्टुवुस्तं जिनेश्वरम् । भावितीर्थकरोदामगुणग्रामनिधीश्वरम् ॥१९८॥ त्वमेव जगतां धाता त्वमेव जगतां पिता । त्वमेव जगतां त्राता त्वमेव जगतां विभुः ॥१९९॥ नूनं त्वद्वचनाऽर्केण नृणामन्तर्गतं तमः । विलीयते न तद् भानुभानुभिः सततोद्गतैः ॥२०॥ (१९३) स्नान के पश्चात् वह प्रभु अलंकारों से अति शोभित थे मानों बादलों के समूह से शरद् का चन्द्रमा किरणों के साथ निकल पड़ा हो। (१९४) जिनदेव का प्रकृति से अति सुन्दर, आभूषणों से अलंकृत शरीर कवि के श्लेष और अनुप्रास से युक्त काव्य की भौति अत्यन्त शोभा दे रहा था । (१९५) तेज का परम भण्डार, सौभाग्य का उत्पत्तिस्थल, सुन्दरता का निवास तथा गुणों का मानों वह भगवान् समुद्र था । (१९६) कवि के अलंकारयुक्त काव्य की तरह उनकी (भगवान की ) शोभा थी । निश्चितरूप से उनके दर्शन से अतप्त सहस्रनेत्र हआ। ( १९७) देखने की इच्छा के कारण निर्निमेष नेत्रों से उनको पीने की मनोकामना रखने वाले उन देवों ने तथा असुरों ने इस तरह प्रसाधित (अलंकृत) पार्व को देखा । (१९८) इसके पश्चात् इन्द्रादिक देवताओं ने भावी तीर्थकर तथा उत्कट गुणसमुदाय के भण्डार जिनेश्वर देव की स्तुति की । (१९९) हे प्रभु ! आप ही जगत् के धारक हो, आप जगत् के रक्षक हो (और) आप हो जगत् के व्यापक प्रभु हो । (२००) हे देव । निश्चित रूप से आपके वचनरूप सूर्य से मानवों का आन्तरिक अन्धकार नष्ट हो जाता है। वह अन्धकार सूर्य की सतत उदय पाने वाली किरणों से नष्ट नहीं होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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