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________________ संस्थान के निदेशक, १९३४ से जैन तिथि दर्पण का संपादन, खं. जैन हितेच्छु एवं १९७१ से १९८४ तक 'सन्मतिवाणी' के प्रधान सम्पादक, १९७९ में विद्वत् परिषद् के १३वें अधिवेशन की अध्यक्षता एवं वर्तमान में संरक्षक, वीर निर्वाण ग्रन्थ प्रकाशन समिति, फूलचन्द गोधा प्रकाशन समिति, विद्यार्थी सहायता कोष, श्रमण संस्कृति विद्यावर्धन ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा भगवान् बाहुबलि दि. जैन अतिशय क्षेत्र गोम्मटगिरि के उपाध्यक्ष, मालवा प्रान्तीय सभा व इन्दौर दि. जैन समाज की अनेक संस्थाओं के संरक्षक, मन्त्री, अध्यक्ष एवं ट्रस्टी हैं। विधि-विधान के सद्प्रचार की दृष्टि से १९४६ में मथुरा तथा १९४७ में वर्णी-भवन सागर में शिविरों का आयोजन किया। जन १९९३ से श्रमण संस्कृति विद्यावर्धन ट्रस्ट द्वारा ५० विद्वानों को प्रतिष्ठा प्रशिक्षण प्रदान किया। सम्मान : सन् १९५१ में अ.भा. दि. जैन महासभा द्वारा हिन्दी जैन साहित्य लेखन प्रतियोगिता में प्रथम, ६ जून १९९३ को आपकी कृति 'प्रतिष्ठा प्रदीप' पर कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार, फरवरी १९९५ को गाँधी नाथारंगजी दि. जैन जन मंगल प्रतिष्ठान सोलापुर द्वारा पूज्य आचार्य विद्यानन्दजी के सान्निध्य में कुन्दकुन्द पुरस्कार एवं श्रुतयोगी पद से सम्मानित। साहित्य-सेवा : आपकी रचनाओं में जैन तीर्थयात्रा भाग १ से ३, पावागिरि (ऊन) इतिहास, जैन संस्कार विधि, नैतिक शिक्षा भाग १ से ७, प्रतिष्ठा प्रदीप, 'आत्म धर्म एवं समाज धर्म' आदि प्रमुख हैं। नैतिक शिक्षा के सभी भागों को क्रमानुसार उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। वर्तमान में निवृत्त जीवन व्यतीत करते हुए धवलादि सिद्धान्त ग्रन्थों के चर्चित विषयों पर ग्रन्थ लेखन कार्य चल रहा है। आवरण : देवकृष्ण नईदुनिया प्रिन्टरी, इन्दौर 0763121 cation.International 201005 For Private&Personal use o r
SR No.002630
Book TitlePratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1988
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
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