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प्रतिष्ठा प्रदीप
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VANATAVATA,
आज अनेक ऐसी मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की जा रही है जो शास्त्र विहित नियमों के प्रतिकूल है।
-आचार्य विद्यानन्द
प्रथम भाग
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