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________________ पंडित नाथूलाल जैन 'शास्त्री' जैन सिद्धान्त दर्शन, न्याय, साहित्य, ज्योतिष एवं आयुर्वेद आदि के प्रकाण्ड विद्वान, जिन-बिम्ब प्रतिष्ठा, धार्मिक विधि-विधान (क्रिया-काण्ड) के निष्णात् मनीषी, परम्परानुसारी आगमविरुद्ध क्रिया-काण्डों को बन्द कर आगमोक्त प्रतिष्ठा-विधि के सम्पूर्ण जैन समाज एवं विद्वद्वर्ग के कुशल सम्पादक एवं मार्गदर्शक हैं। १. पिता : श्री सुन्दरलालजी बज २. माता : श्रीमती गेंदाबाई ३. विवाह : इन्दौर; १ दिसम्बर, १९३३ ४. पत्नी : स्व. श्रीमती सुशीलाबाई ५. पुत्र : श्री जिनेन्द्रकुमार जैन (स्टेट बैंक ऑफ इन्दौर) ६. जन्म : २५ जनवरी, १९१३ ७. जन्म-स्थान : सुरली ग्राम (सवाई माधोपुर, राजस्थान) ८. शिक्षा : सन् १९१९ में सर हुकमचन्द जैन छात्रावास में प्रवेश कर लगन, परिश्रम और पुरुषार्थ के बल पर सिद्धान्त शास्त्री, साहित्यशास्त्री, साहित्यरत्न (प्रयाग), न्यायतीर्थ (दिगम्बर, श्वेताम्बर) कलकत्ता आदि। सन् १९२७ से धार्मिक क्रिया-काण्ड एवं प्रतिष्ठाओं में संलग्न ; सन् १९७५ तक लगभग १०० प्रतिष्ठाएँ भारत के विभिन्न प्रान्तों में बिना भेंट लिये करायीं। १९३३ से १९५० तक सर हुकमचन्द जैन महाविद्यालय के प्राध्यापक, १९५८ से १९९५ तक प्राचार्य पद पर रहे। १९५० से अखिल भारतीय महासभा के सं. महामन्त्री व १९८७ तक परीक्षालय का सफल संचालन, १९८८ से अभी तक कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परीक्षा JainEducation international-2010-05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002630
Book TitlePratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1988
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
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