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________________ १०४ श्रेयो वल्लीरुपचयमयः प्रापयंस्तापहर्ता भूयात् पार्श्वः शमितदुरितोऽम्भोदवन्मोदकर्ता ॥ १ ॥ ( संस्कृतम् ) फणिफणमणिमाला रेहए जस्स सीसे तमतिमिरपणासे दीवपंतिव्व दिव्वा । परममहिमवासो पावराई व राई घणत महिमवासो देउ सुक्खं स पासो ॥ २॥ वोलिज्जत कुलाचलाहि पयलं भोदप्पभाहिं तदा वुट्ठीहिं कमठासुरस्स भरिदब्बंभंडभांडाहिवि । जस्स ज्झाणहुदासणो पजलिदो सित्तोविही माणहे सामी पास जिणोस भोदु भगवं तेलुक्कमुक्खप्पदो ॥ ३ ॥ (शौरसेनी ) ( प्राकृतम् ) चोला अस्तातिलोला तिहुयणगशिणी शाइणी डाइणी वा यश्कालश्कातुलश्का पलपललसिका खित्तवाला अबाला । दुस्टे अन्नेवि नस्टा यणयणिभया यश्श नामप्पभावा शे मे वामेयदेवे भवदु हदलणे श्शेणिविद्धंसकाली ॥ ४ ॥ ( मागधी ) मंता तंतावि जंता गतमहिमकहा नो तहा विष्फुरंती सेवाद्देवा किनावि प्रबलभरं तित्ति तेवा न तेवा । भावाहीनप्पभावा मनिगनमपुहा जम्मि सव्वैवि जाता काले एतम्मि पासो जयति जगगुरू जागरूक पभावो ॥५॥ ( पैशाची ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002626
Book TitleStotrasamucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherPandurang Javji
Publication Year1928
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size10 MB
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