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________________ विषयानुक्रम ६३२ mmmmmm لي لي لي لي ६४२ सेठजी का प्रयास प्रतिलिपि का प्रारम्भ भी : स्थगन भी प्रतिलिपि : पुनरारम्भ-समापन कनाड़ो में भी प्रतिलिपि महाधवला की प्रतिलिपि पं० गजपति शास्त्री द्वारा अतिरिक्त प्रतिलिपि कनाड़ी प्रतिलिपि का बहिर्गमन कनाड़ी से देवनागरी कुछ और प्रतिलिपियां षट्खण्डागम का प्रकाशन प्रथम भाग का प्रकाशन : एक अन्य प्रतिक्रिया मूडबिद्री की प्रतियां आचार्य धरसेन : ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में पट्टानुक्रम में धरसेन का उनुल्लेख नन्दि-संघ की गुर्वावली में माघनन्दि कुम्भकारी और माघनन्दि सारांश नन्दि-संघ की प्राकृत-पट्टावली में धरसेन दोनों कालक्रमों की तुलना समीक्षा एक सम्भावना दूसरी सम्भावना प्राकृत-पट्टावली की प्रामाणिकता वृहट्टिप्पणिका में उल्लेख जोणिपाहुड़ : मंत्र-क्रिया की एक विलक्षण कृति निष्कर्ष धक्ला और महाधवला महान् विद्वान् : प्रखर प्रतिभान्वित धवला की रचना नाम अन्वर्थकता ६४५ ६४७ ६४७ ६४९ ६५१ ६५२ ६५३ ६५४ ६५४ ६५५ ६५६ ६५६ ६५८ ६५९ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
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