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भाषा और साहित्य ] विश्व की लिपियाँ: दो वर्ग
भारत में लिपि कला का उद्भव और विकास
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विश्व को लिपियों अपने स्वरूप के आधार पर दो वर्गों में विभक्त की जा सकती हैं पहला वर्ग उन लिपियों का है, जिनमें चिह्न पृथक् पृथक् वर्णों या बक्षरों के बोतक नहीं हैं, एक शब्दात्मक ध्वनि के द्योतक है। दूसरा वर्ग उन लिपियों का है, जिनमें प्रयुक्त चिह्न आकार पृथक्-पृथक् वर्णों या अक्षरों के द्योतक हैं । भाषा वैज्ञानिकों ने इस दृष्टि से उनका freafter रूप में वर्गीकरण किया है :
दूसरा
पहला वर्ग - मुख्य लिपियां :
१. क्यूनीफार्म
२. हीरो ग्लाइफिक
३. क्रीट की लिपियां
४. सिन्धु घाटी की लिपि
५. हिट्टाइट लिपि
६. चीनी लिपि
७. प्राचीन मध्य अमेरिका तथा मैक्सिको की लिपियां
वर्ग -
मुख्म
लिपियां :
१. दक्षिण सामी लिपि
२. हिब्रू लिपि
३. फिनिशियन लिपि
४. खरोष्ठी लिपि
५. आर्मेइक लिपि
६. अरबी लिपि
७. भारतीय लिपि
८. ग्रीक लिपि
६. लैटिन लिपि
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ब्राह्मी की उत्पत्ति : मत-मतान्तर
ब्राह्मो के सम्बन्ध में जो मत-मतान्तर हैं, उनका विश्लेषण अपेक्षित है । यह विषय ऐसा है, जिस पर अनेक विद्वानों ने विचार किया है । पर अब तक किसी सर्वसम्मत मत पत्र नहीं पहुंचा जा सका है। स्थिति ऐसी रही है, भिम्न-भिन्न विद्वानों ने अपने-अपने तर्कों के आधार पर अपने-अपने मत प्रतिष्ठापित करने का प्रयास किया है । अब भी प्रस्तुत विषय
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