________________
२६२] आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : २ के लिए मध्य व पूर्व में अधिकांशतः प्रयुक्त ए के जिए यहां इ का प्रयोग हुआ है। ___सप्तमी धिभक्ति एकवचन में यहां सि के लिए हि आया है। षष्ठी विभक्ति एकवचन में 'ह' का प्रयोग हुमा है, जैसे, अपभ्रश में 'स' का प्रयोग होता है। कहीं-कहीं मूर्धन्य ष तालग्य श में भी परिवर्तित हुमा मिलता है। गाइगर ( Geiger ) ने इन अभिलेखों की भाषा को सिंहली प्राकृत नाम दिया है।
अशोकीयेतर जिन अभिलेखों की चर्चा की गयी है, उनका ऐतिहासिक महत्व तो है ही, पर, विस्तार, भाषा-प्रयोग के वैविध्य-भाषा-तत्व के सन्दर्भ में पुष्कल सामग्री आदि अनेक दृष्टियों से मशोक के अभिलेखों का ही सर्वाधिक महत्व है।
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org