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भाषा और साहित्य ] शिलालेखी - प्राकृत
[२४९ पं खेपेकालने का प्रयोग हुआ है।
षकार और शकार के इस प्रकार उच्छृखल प्रयोग की स्थिति कैसे बनी, यह विचारणोय है। अन्य किन्हीं भी अभिलेखों में ऐसी स्थिति प्राप्य नहीं है। लगता है, यह स्थिति लिपिदोष जैसे किसी कारण से हुई हो; क्योंकि कालसी के अभिलेखों में श और ष का जो प्रयोग मिलता है, वह व्यवस्थित और नियमित नहीं है और न ही उसकी संस्कृत के श और ष के साथ कोई संगति जुड़ती है। उद्धत अंशों से यह भी स्पष्ट है कि कहीं-कहीं एक ही शब्द में दो भिन्न स्थानों पर तालव्य शकार भी आया है और मूर्धन्य षकार भी।
क्या यहां यह सम्भावना नहीं की जा सकती कि मंसूरी के पास हिमालय के अंचल में अवस्थित कालसी के समीपवर्ती क्षेत्र में सम्राट अशोक के समय जो बोली प्रचलित थी, उसमें बोलने वालों की प्रवृत्ति के कारण सम्भवतः षकार का प्रयोग बहुत अधिक होता रहा होगा, शकार का उससे कम तथा सकार का बहुत ही कम या बिलकुल नहीं ? क्या इसी कारण सम्राट अशोक ने वहां के अभिलेखों में षकार और शकार का प्रयोग उसी परिमाण में करवाया हो ? एक ही शब्द में दो भिन्न स्थानों पर जो भिन्न-भिन्न मूर्धन्य ष भी और तालव्य श भी मिलते हैं, उनके लिए भी समाधान खोजा जा सकता है । हो सकता है, उन लोगों में कुछ ऐसे शब्दों का प्रचलन रहा हो, जिनमें मूर्धन्य ष और तालव्य श दोनों प्रयुक्त होते रहे हों। केवल लिपि-दोष जैसे किसी बाह्य कारण से ऐसा हो गया हो, यह समाधान-कारक नहीं लगता।
कालसी और टोपा के अभिलेखों में एक विशेषता और प्राप्त होती है। वहां कण्ठ्य क और ग का तालव्यीकरण हो जाता है। यह प्रवृत्ति क में अधिक प्राप्त होती है। तालव्यीकरण का आशय यह है कि वहां अपेक्षाकृत क या ग य से युक्त हो जाते हैं । जैसे, अलि कके लिये अलिक्य, कलिंग के लिए कलिग्य, ज्ञातिक के लिए नातिक्य, पारित्रिक के लिए पालतिक्य जैसे प्रयोग कालसी के अभिलेखों में हुए हैं। टोपरा के अभिलेखों में भी इनके उदाहरण प्राप्त होते हैं। पूर्व के अभिलेखों में तालव्य श क्यों नहीं ?
पूर्व के अभिलेख अशोक की राज-भाषा में बिना किसी परिवर्तन के उत्कीर्ण करवाये गये थे; क्योंकि वह भाषा वहां सुज्ञेय थी। यह भी चर्चित हुआ है कि अशोक की राज-भाषा का मुख्य आधार मागधी थी। मागधी में मूर्धन्य ष, तालव्य श और दन्त्य स; तीनों के लिए ६. खेये कालनं वा अलोचयितु लिपिकलपलाधेन। ( ......"संक्षेपकारणं वा आलोचयतु लिपिकरापराधेन । )
-चतुर्दश शिलालेख
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