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________________ विषयानुक्रम २०. २०० २०१ २०२ २०३ अभिधम्म : परम्परा तृतीय संगीति का एक महत्वपूर्ण फलित त्रिपिटक का लेखन आधुनिक कालीन संगीतियां निष्कर्ष त्रिपिटक वाङमय : संक्षिप्त परिचय सुत्त-पिटक सुत्त-पिटक : वरिणत विषय विनय-पिटक अभिधम्म-पिटक २०६ २०६ २०७ अभिधम्म-रचना २१४ २१६ २९७ २१९ २२० २२१ २२३ २२५-२६२ २२७ २२७ अभिधम्म का स्थान पिटक वाङ्मय का एक अन्य वर्गीकरण बुद्ध-वचन का नवांगी वर्गीकरण बहुविध विभाजन : परम्परा ५. शिलालेखी प्राकृत ( Inscriptional Prakritas ) [अशोक के शिलालेख व उनकी भाषा ] शिलालेखों की भाषा : महत्व शिलालेखों का वर्गीकरण १. दो लघु शिलालेख २. भाब्र शिलालेख ३. चतुर्दश शिलालेख ४. दो कलिंग-शिलालेख ५. तीन गुहा-लेख ६. तराई के दो स्तम्भ-लेख ७. सप्त स्तम्भ-लेख ८. लघु स्तम्भ-लेख शिलालेखों की भाषा : तुलनात्मक विवेचन अभिलेखों की भाषा : कुछ सामान्य तथ्य पूर्व के अभिलेखों में तालव्य श क्यों नहीं ? २२८ २२८ २२८ २२९ २२९ २३० २३० २३१ २३३ २४३ २४९ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
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