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________________ विषयानुक्रम २५ प्राकृत-विद्वानों का अभिमत रोमन कैथोलिक मान्यता इस्लाम का अभिमत मानव की मूल भाषा : कतिपय प्रयोग प्रयोगों का फलित मूलभूत सिद्धान्त निर्णय-सिद्धान्त धातु-सिद्धान्त प्रो० हेस, स्टाइन्थाल और मैक्समूलर यास्क द्वारा प्रख्यात-चर्चा अनुकरण-सिद्धान्त अनुकरणन-सिद्धान्त मनोभावाभिव्यंजकतावाद इगित-सिद्धान्त जॉनसन का निष्कर्ष भाव-संकेत : इंगित सूक्ष्म भावों की अभिव्यंजना भाव-संकेतों का अभिप्राय धातुओं के आदि अक्षर : विशेष अर्थ विसंगति स्वीट का समन्वयात्मक विचार शब्द : अर्थ : यहच्छा : प्रतीक सार : समीक्षा भाषा की उत्पत्ति: अवलम्बन : निराशा खोज पर प्रतिबन्ध : विचित्र निर्णय गवेषणा नहीं रुकी निराशा क्यों ? वाक्-प्रस्फुटन परा, पश्यन्ती, मध्यमा और वैखरी स्वर-यन्त्र का आवयविक स्वरूप और प्रक्रिया शब्द के सूक्ष्मतम प्रभौतिक कलेवर की सृष्टि d w ४९ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
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