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[ पट्टवली-पराग
गुणकर्कोतिनां करतां संघ ने यर्भ (परम) कल्याणनी कोड हुई ॥श्रीरस्तु॥ तत्पट्टे श्री ६ श्री जगजीवनजी, तत्प? श्री : मेघराजजी, तत्प? युगप्रधान जयवंता श्री ६ श्री सोमचंदजी, तत्पट्टे श्री ६ श्री हर्षचन्द्रजी, तत्पट्टे श्री ६ युगप्रवर्तक जयचन्द्रजी, तत् श्री युगप्रवर श्री ६ कल्याणचन्द्र सूरिसर छ ।”
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