________________
२३२ ]
[ पट्टावली- पराग
३५ उद्योतनसूरि ( लोकडीया वट के नीचे वि० ९९४ में ३०० शिष्य परिवार के साथ अनेकों को प्राचार्य पद दिया । )
३६ सर्वदेवसूरि ३७ रूपदेवसूरि
३८ सर्वदेवसूरि
३६ यशोभद्र और नेमिचन्द्रसूरि
४० मुनिचन्द्रसूरि ( १९७४ में पट्टधर बनाया )
४१ वादी देवसूरि
४२ मानदेवसूरि
४३ हरिभद्रसूरि
४४ पूर्णचन्द्रसूरि
४५ नेमिचन्द्रसूरि
४६ श्री मयचन्द्रसूरि
४७ मुनिशेखरसूरि
४८ तिलकसूरि
४९ भद्रेश्वरसूरि
५० मुनीश्वरसुमरिण - भट्टारक
५१ रत्नप्रभसूरि
५२ महेन्द्रसूरि
५३ रत्नाकरसूरि
५४ मेरुप्रभसूरि
५५ राजरत्नसूरि
५६ मुनिदेवसूरि
५७ रत्नशेखरसूरि
५८ पुष्यप्रभसूरि ५६ संयमराजसूरि ६० भावसूरि ६१ उदयराजसू रि
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org