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________________ सागरगाछीय - पहावली (१) ५३ प्राचार्य लक्ष्मीसागरसूरि ५४ उपाध्याय विद्यासागर गरिण ५५ उपाध्याय धर्मसागर मरिण - नाडोल में जन्म, सं० १५९५ में १६ वर्ष की उम्र में श्री दानसूरि के हाथ से दीक्षा, सं० १६५३ में स्वर्गवास । ५६ उपाध्याय - लज्थिसागर के शिष्य नेमिसागर और नेमिसागर के शिष्य मुक्तिसागर, उपाध्याय मुक्तिसागरजी को नगर सेठ शान्तिदास ने सं० १६७६ में प्राचार्य विजयदेवसूरि के वासक्षेप से उपाध्याय-पद दिया और १६८६ में उक्त प्राचार्य के ही वासक्षेप से महमदाबाद में प्राचार्य-पद दिया गया, इनकी पट्ट-परम्परा नीचे मुजब चली। ५६ प्राचार्य विजयसेनसूरि ६. प्राचार्य राजसागरसूरि - राजसायर, उपा० लब्धिसागर के शिष्य उपा० नेमिसागर के छोटे भाई तथा शिष्य थे। इनका जन्म सं० १६३७ में सिपोर में हुआ था, इनका दीक्षा नाम मुक्तिसागर था। सं० १६६५ में पंन्यास-पद, सं. १६७६ में वाचक-पद और सं० १६८६ में प्राचार्य-पद अहमदाबाद में हुआ, नाम "राजसागरसूरि" प्रतिष्ठित किया था, ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002615
Book TitlePattavali Parag Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1966
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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