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________________ रहितम् ] सरस्वतीस्तोत्रम् इय भत्तिसत्तिभरेण निम्मिउं सत्थसंथवगोयरो अक्खीणधारिम 'मेरुनंदणु' मुत्तिसरिसीमंधरो । ( ३४५ ) सग्गाइकामियचित्तकामियकप्पपाय जंगमो म झाणगाणगुणा राइण देउ नियपयसंगमो ॥३१॥ [ १०७ ] अष्टोत्तरशतनामगर्भितं श्रीसरस्वतीस्तोत्रम् | धिषणा धीर्मतिर्मेधा वागू विभावा सरस्वती । गीर्वाणी भारती भाषा ब्राह्मणी मागधिप्रिया ॥ १ ॥ सर्वेश्वरी महागौरी शाङ्करी भक्तवत्सला । रौद्री चाण्डालिनी चण्डा भैरवी वैष्णवी जया ॥ २ ॥ गायत्री च चतुर्बाहुः कौमारी परमेश्वरी । देवमाताऽक्षया चैव नित्या त्रिपुरभैरवी ॥ ३ ॥ त्रैलोक्यस्वामिनी देवी माङ्का कारुण्यसूत्रिणी । शूलिनी पद्मिनी रौद्री लक्ष्मी पङ्कजवासिनी ॥ ४ ॥ चामुण्डा खेचरी शान्ता हुङ्कारा चन्द्रशेखरी । वाराहा विजयाऽन्तर्द्धा कर्त्री हर्त्री सुरेश्वरी ॥ ५ ॥
SR No.002613
Book TitleJainstotrasandohe Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1932
Total Pages662
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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