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रहितम् ]
सरस्वतीस्तोत्रम्
इय भत्तिसत्तिभरेण निम्मिउं सत्थसंथवगोयरो अक्खीणधारिम 'मेरुनंदणु' मुत्तिसरिसीमंधरो ।
( ३४५ )
सग्गाइकामियचित्तकामियकप्पपाय जंगमो
म झाणगाणगुणा राइण देउ नियपयसंगमो ॥३१॥
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अष्टोत्तरशतनामगर्भितं श्रीसरस्वतीस्तोत्रम् |
धिषणा धीर्मतिर्मेधा वागू विभावा सरस्वती । गीर्वाणी भारती भाषा ब्राह्मणी मागधिप्रिया ॥ १ ॥
सर्वेश्वरी महागौरी शाङ्करी भक्तवत्सला ।
रौद्री चाण्डालिनी चण्डा भैरवी वैष्णवी जया ॥ २ ॥ गायत्री च चतुर्बाहुः कौमारी परमेश्वरी ।
देवमाताऽक्षया चैव नित्या त्रिपुरभैरवी ॥ ३ ॥ त्रैलोक्यस्वामिनी देवी माङ्का कारुण्यसूत्रिणी ।
शूलिनी पद्मिनी रौद्री लक्ष्मी पङ्कजवासिनी ॥ ४ ॥ चामुण्डा खेचरी शान्ता हुङ्कारा चन्द्रशेखरी ।
वाराहा विजयाऽन्तर्द्धा कर्त्री हर्त्री सुरेश्वरी ॥ ५ ॥