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विनिर्मितम् ]
नमस्कारस्तवनम्
सयलम्म वि जियलोए चिंतियमित्तो करेह सत्ताणं । रक्खं रक्खडाइणिपिसायगहजक्खभूआणं ॥ १४ ॥ oes faare air qवहारे भावओ सरतो य । जूए रणे य रायंगणे य विजयं विसुद्वा ॥ १५ ॥ पच्चूसपओसेसुं सययं भव्वो जणो सुहज्झाणो । एवं झाएमाणो मुक्खं पइ साहगो होइ ॥ १६ ॥ बेयालरुद्द दाणवन रिंद कोहंडिरेवईणं च । सव्वेसिं सत्ताणं पुरसो अपराजिओ होइ ॥ १७ ॥ विज्जु ब्व पज्जलंति सव्वैसुवि अक्खरेसु मत्ताओ । पंचनमुक्कारपए इक्किंक्के उवरिमा जाव ॥ १८ ॥ ससिधवल-सलिलनिम्मलआयारसहं च वाण्णियं बिंदु | जोयणसयमाणं जालासय सहरसदिप्पतं ॥ १९ ॥ सोलस अक्खरेसुं इक्विक अक्खरं जगुजोअं । भवसयसहस्समहणो जम्मि ठिओ पंचनवकारो || २० || जो गुणइ हु इक्कमणो भवि भावेण पंचनवकारं । सो गच्छइ सिवलोअं उज्जोअंतो दस दिसाओ ।। २१ ।। तवनियमसंजमरहो पंचनमुक्कारसारहिनिउत्तो । नाणतुरंगमजुत्तो नेइ फुडं परमनिव्वाणं ॥ २२ ॥ सुद्धप्पा सुद्धमणा पंचसु समिईसु संजु तिगुत्तो । जे तम्मि रहे लग्गा सिग्धं गच्छेति सिवलोयं ॥ २३ ॥ थंभेइ जलं जलगं चितियमित्तो वि पंचनवकारो । अरि-मारि-चोर - राउल - घोरुवसग्गं पणासेइ ॥ २४ ॥
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