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नेमिनाहचरिउ
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अवर-वासरि वाल-चंदाए पुवोइय-वालियइ धणमइ त्ति नहयरि पठाविय । तसु जायव-कुल-गयण- ससिहि सविहि वेगेण आविय ॥ भणइ य जह – तइयह ज तई तोडिय-नाग-प्पास । वालचंद-नामिय-खयरि किय कय-जीविय-आस ॥
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सा भणावइ वेगवइ-सहिय आगच्छह पहु पसिय को-वि कालु वेयड्ढ-सिहरिहिं । पुरि गयणवल्लहि तयणु भणिउ निविण सह खयर-कुमरिहिं ॥ नहयल-मग्गिण आगयउ सउरि-कुमारु खणेण । तयणतरु खयराहिविण सिरि-कंचणदाढेण ॥
[२२६१] नियय-कन्नय वालचंद त्ति तसु वियरिय आयरिण तयणु वेगवइ-वालचंदर्हि । सह रयण-विमाण-ठिउ पढिय-कित्ति वह-वदि-विंदहि ॥ परिगिण्हइ पसरत-बहुविह-गुण-रयण-निहाण । सिरि-दहिमुह-नहयर-भइणि- मयणवेग-अभिहाण ॥
[२२६२] तो सीहदाढ-धृयं नीलजसं असणिवेग-सुय-सामं ।
गिण्हइ पियंगुसुंदरि-बंधुमईओ य सावत्थि ॥ [२२६३] निव-सोमदत्त-धूयं महापुरे गिण्हए य सोमसिरिं ।
इलवद्धणम्मि नयरे सत्थाह-सुयं च रयणवइं ॥ [२२६४] भदिलपुरम्मि पुंडं जयपुर-नयरम्मि आससेणं च ।
सालगुहा-पउमसिरि कविलं पुण वेयसाम-पुरे ॥
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