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________________ २२५८ ] नवमभवि वसुदेववृत्तंतु [२२५५] तयणु जणइण जिट्ट-बंधुण वि मुणि एगु नमंसिउण पुठ्ठ - कहसु केरिसिण वइरिण । इह एयह सुयह निरु अवगरेइ एरिस-पयारिण ॥ तयणु नाण-दिणयरु सु मुणि साहइ तेसि अ-सेसु । पुव्व-जम्म-संचिउ दुसह- वइयरु वइर-विसेसु ॥ [२२५६] अह ति वंधव दो-वि दढ-नेह वेरग्गिण तेण तहि मुणिहि सविहि निक्खंत तक्खणि । वहति य एगग्ग-मण चरणि जणिय-सिवमग्ग-सम्मणि ॥ अह दोहग्गिण दूमियउ गंगएवु अंतम्मि । कुणइ नियाणउं जय-असम-सोहग्गह विसयम्मि ॥ [२२५७] आउ-कम्मह अंति ते दो-वि मरिऊण महिइढि सुर हूय तयणु सुकयाणुहाविण । उवभुंजिवि तियस-गिह- उचिय-सुहई निय-ठिइहिं अंतिण ॥ रोहिणि-कुक्खिहिं अवयरिउ सिविणुवलंभ-खणम्मि । ललिय-तियसु अणुकमिण पुणु निरुवम-लग्ग-दिणम्मि ॥ [२२५८] ललिय-लक्खणु दित्त-कंतिल्लु निय-वंसह जस-कलसु तणय रयणु पसवेइ रोहिणि । समयम्मि य नंदणह नाम-करण-महिमाए कारणि ॥ सद्दावेविणु सुहि-सयण पयडिवि तह सम्माणु । रामएयु इय विस्सुयउं दिण्णु सुयह अभिहाणु ॥ ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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