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नवमभवि वसुदेववुत्तंतु
[२१९८]
देवउलियहि पुणु तइज्जाए मज्झम्मि कारावियउं नियय-रूवु सह ति-खुर-महिसिण । अवलोएऊण पुणु ताइं तिन्नि देवउल सउरिण ॥ पुढउ कसु वि तहाविहह नरह सविहि वुत्तंतु । तेण वि साहिउ तमु पुरउ सयलो वि-हु पुव्वुत्तु ॥
[२१९९]
तह पयंपिउ एहु वंसम्मि तमु सेहिहि हुयउ इह कामदत्त-अभिहाणु वणि-वरु । वंधुमई नाम तमु धूय अत्थि अह मयण-मंदिरु ॥ वत्तीसहि दढ-अग्गलहिं अग्गलियउं जो को-इ । उग्घाडेइ कहं-चि सु जि बंधुमइं परिणेइ ॥
[२२००]
इय निवेइउ अत्थि एगेण नेमित्तिय-माणविण सुणिवि एहु वसुदेवु सायरु । उग्घाडइ तक्खणि
विनिय-करेहिं तं मयण-मंदिरु ॥ एत्थंतरि तहिं आगयउ मयणह पूयण-हेउ । सो च्चिय वणि-वरु कु सु कुमरु कामएव-कुल-केउ ॥
[२२०१]
तयणु सउरिहि दिन्न निय कन्न तेणावि महा-महिण सा तहेव तत्थेव परिणिय । वंसम्मि मिगधयह एणिपुत्तु हुउ तसु वि जणणिय ॥ स-कइण जलगप्पह-सुरह घरिणित्तिण संजाय । तीए पसाइण निवह तमु अ-पयट्टत-अवाय ॥
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