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नेमिनाहचरिउ
[२१०१]
एहु सयलु वि मुणिवि मंतणउं मंदोयरि-नामियइ चेडियाए सिरि-सयर-निवइहि । आगंतु कहीउ अह धरणि-नाहु संगहिउ अ-रइहिं ॥ उवविसिऊण सयंवरह मंडवि नियय-पहाए । वच्चावइ निय-लक्खणई जा ता कुमर-सहाए ॥
[२१०२]
इहु निलक्खण-कुक्खि महुपिंगु सव्वेसि निवंगयह इमहं मज्झि इय भणिवि दढयरु । निद्धाडिउ तह कह-वि जह न दिछ नयणिर्हि वि सु कुमरु ॥ सयर-नरिदिण पुणु सुलस वीवाहिय अइरेण । निय-निय-पुरि इयरे विगय समगु स-परिवारेण ॥
[२१०३]
विण्हुरायह भवणि जाओ वि निव-वंस-मुत्तामणि वि सिरि-मुदाढ-निव-भाइणिज्जु वि । सिरि-सोमवंसुब्भवु वि सुलस-तरुणि-एगंत-जुग्गु वि ॥ निद्धाडिवि वल-वड्डिमहं हउं परिखिविउ विएसि। लुद्धिण सयर-निवाहमिण सुलसह तरुणिहि रेसि ॥
[२१०४]
किंतु कहमवि जइसु तह जेण सव्वे वि-हु निव-अहम एइ हुंति अच्चंत-दुक्खिय । इहरह कह एरिसउं पावु करिवि हविहई सु-सिक्खिय ॥ इय चिंतिरु वि अ-पहविरउ तेस तिम्मि जम्मम्मि । उज्जमिउण अइ-दुक्करइ वाल-तव-क्कम्मम्मि ॥ २१०१. ६. क. पयंवरहं.
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