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३३०९]
नेमिनिव्वाणु [३३०६]
कत्थ वच्चहुं को णु अणुसरहुं पुक्कारहुं कसु पुरउ को व अम्ह रिउ-रक्ख करिहइ । अंधारिउ तिहुयणु वि तुह विओइ जय-नाह पडिहइ ॥ भव-कूवम्मि अ-याणिरउं मग्गामग्ग-वियारु । इय विलवंतु चउबिहु वि संघ भणइ सुस्सारु ॥
[३३०७]
एम्ब तुम्हहं किमिह सोगेण कय-किच्चउ भुवण-पहु पत्तु जेण निव्वाण-मंदिरु । तुब्भे वि-हु पाविहह पहुहु पहिण वच्चंत सिव-पुरु ॥ इय अणुसहि पयच्छिउण सयलस्स वि संघस्सु । तह वज्जिण निव्वाण-सिल- उवरि नेमि-सामिस्सु ॥
[३३०८]
नाम-अक्खर-पंति तह सम्म पहु-लक्खण-सय-सहस उक्किरेवि सोहम्म-सुग्वइ । नीसेस-सुर-यण-सहिउ साम-वयणु निय-ठाणि आवइ ॥ नेमि-जिणिदह गुणहं गणु सरिवि सरिवि झूरंत । सावय साविय मुणि समणि नियय-ठाणि संपत्त ॥
[३३०९]
ते-वि पंडव सामि-पय-पउमअभिवायण-एक्क-मण विहरिऊण धरणिहिं स-संभम । आगच्छिर अक्खलिर हियय-निसिय-सिव-रमणि-संगम ॥ वारस-जोयण-अंतरिण रेवय-गिरिहिं पहुत्त । पहु वंदिवि मासिय-तवह मुंजेसु त्ति मुणंत ॥ ३३०६. २. क. पुक्कारहु.
३३०९. १. क. समियपयपठम, ख. सामिपयउम.
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