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नेमिनाहचरिउ
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कह-वि कंचि-वि पत्त-चेयन्नु उद्देविणु मिल्लिउण सीह-नाउ वहिरिय-नहंतरु । साडोवु समुल्लवइ अहह अत्थि जइ इत्थ कु-वि नरु ॥ सो मह पयडीहवउ इह जिह तमु मंजहुं दप्पु । सुत्तह मह वंधुहु हणणि केरिसु रिउहु मडप्पु ॥
[३२३९] रोहिणि-सुयं अ-हंतुं निहयं जो मन्नए य गोविंदं ।
थोवं चिय नंदिस्सइ सो पावो को-वि मूढप्पा ॥ [३२४०] मुक्काउहं पसुत्तं मत्तं वालं मुणिं च थेरं च ।
जुवइं च निसुंभइ जो दुन्नि-वि लोगा हया तस्स ॥ [३२४१] महया सद्देणेवं भणमाणो तं वणं भमइ रामो ।
आगच्छइ य अभिक्खणमुविंद-पासम्मि दुह-तविओ ॥ [३२४२] तत्तो सो अलहंतो वि सुद्धिमत्तं पि कण्ह-मरणस्स ।
__ आसा-मुक्को कण्डं अवगृहेऊण पलवेइ ॥ [३२४३] हा कण्ह महा-वल हा मह वंधव कणिट्ट गुण-जेट ।
मोत्तूण में अणाहं हा कत्थ गओसि अ-कहेउं ।। [३१४४] कि होही को-वि जए सो पुरिसो जेण दिट्ठ-मित्तेण ।
कण्ह पुणो वि लहिस्सं तं तुह संगम-पमोयमहं ॥
३२४५]
उहि वंधव चयहि परिहासु मा हविहइ किं-पि छलु तुज्झ इत्थ वण-गहणि वसिरह । इहु संझा-कालु इय को णु समउ तुह पणय-कुविरह ॥ कुल-देविउ वण-देविउ वि तह दिसि-वाल तुमे वि । कि न वुल्लावहु वंधु मह कहमवि अणुसासेवि ॥ ३२३८. ८. क. सत्तह. ३२४२. १. क. ततो.
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