________________
३२३०
७१६
नेमिनाहचरिउ [३२३०
इय मुणेविणु झत्ति जर-कुमरु तह चेव करेइ अह निसुय-सयल-पुव्वुत्त-वइयर । अक्कंदर्हि तह कह-वि जह रुयंति विहय वि स-तरुवर ॥ फोडहिं मत्थय पाहणिहिं तोडहिं केस-कलाव । मुच्छ-विवस निवडहिं महिहिं पयडहिं करुण-पलाव ॥
. [३२३१] इओ य
फुरिय-वेयण-भरिण विहुरंगु परिचिंतइ कण्हु जह धन ते ज्जि अक्कूर-पमुहय । मह वंधव नेमि-पहु- सविह-गहिय-चारित्त-धम्मय ॥ तह कय-किच्च य राइमइ- पमुह-राय-कन्नाउ । जाहि इमेरिस-भव-दुहहं सलिलंजलि दिन्नाउ ॥
[३२३२]
काम-मोहिउ कूड-अहिमाणु समरंगण-निहय-बहु- जंतु-जाउ कारुण्ण-वज्जिउ । अ-कयत्थउ हउं जि पर मोह-राय-सेन्नेण तज्जिउ ॥ जइ तइयहं नेमिहि पुरउ निय-बंधविहिं समेउ । चरणु पवज्जहुँ ता न मह जायइ दुह-भरु एउ॥
[३२३३]
अजु-वि पणमहं सिद्ध गय-बंध अरिहंत भाविण थुणहुँ जाहुं सरणि आयरिय-पवरहं । उवझायहं पय सरहुं नमहं पाय तहं साहु-वसहहं ॥ खामहं चउ-विहु संघु हउं निंदहुँ निय-अइयार । कुणहुँ सेव नेमिहि पहुहु चयहं पाव-वावार ॥ ३२३०. १. क. भणइ corrected as झत्ति. ख. भणइ. ३२३१. ७. क. कन्नाओ. ९. क. दिन्नाओ
____Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org