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नेमिनाहचरिउ [३१९३]
धूमु मुंचहिं मुहिहि गह-चक्क निवडंति उक्का-सहस हुयउ तरणि-मंडलु स-छिड्डउ । अंगारिहि परिसियउ जलउ हुयउ निग्घाउ वडउ ॥ ससि-सूरहं वि अ-पव्वि हुउ राहु-गह-आयासु । भमइ रुवंतु सु पाव-सुरु नयरिहिं जम-संकासु ॥
__ [३१९४]
नियइ नायर-जणु वि सिविणेसु रत्तवर-कुसुम-कय- सोहु रत्त-चंदण-विले विउ । दाहिण-दिसि-सम्मुहउं अप्पु पंक-मज्झेण कड्ढिउ ॥ तयणतरु कि-वि भविय-जण जाय-चरण-परिणाम । तियस-विसेसिहि नीय पहु- पुरउ हूय मुह-धाम ॥
[३१९५]
एत्थ-अंतरि पाव-तियसेण संवत्तग-पवणु जुग- अंत-काल-सन्निहु विउविवि । तिणु कयवरु कटु फलु कुसुमु दु-पउ चउ-पउ वि आणिवि ॥ पक्खंतरहं वि वारसय- जोयण-पहह गहेवि । वारवइहि नयरीए तहि मज्झ-पएसि खिवेवि ॥
[३१९६]
स हि नयरिहि वहिहिं कुल-कोडिवाहत्तरि मज्झि पुणु पिंडिऊण एगत्थ अइरिण । सव्वासु वि दिसिहि पडि- भवणु खिविय वज्जग्गि अहमिण ॥ तयणंतरु सय-सहस-गुण जालोलिहि दिपंत । सा पुरि दीवायण-खिविय- वज्जग्गिण अक्कंत ॥ ३१९३. २. क. सयस. ५. वहुउं.
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