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[३०८४] कमिण अम-तवह पज्जेति
झानंतर रिह
आ-जम्मु अ-लद्धयरु आसोयह अम्मासहं
गरुर - ते हिंससिरविहि जायइ सुमुहुत्तम्मि ॥
घाइ कम्म संघाइ झीणइ । चाउरंग-भव - भमणि खीणइ ॥ चित्ता - नक्खत्तम्मि ।
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[३०८५]
अज्जु केवल-नाणु उप्पन्नु
तयणंतरु सुर-गणिण
नियय-नियय-अहिगार - जोगिण ।
अइरेण विजय सरणु समवसरणु as fafवह - भंगिण || ता वणयर-कय-1 प-तिदिसि पडिविंधु नेमि - जिण- इंदु | तहिं निवसिवि पुव्वाभिमुहु
वियसिय-मुह-अरविंदु ||
[३०८६]
चलिय- आसण - पत्त-सुर-असुर
नर-नायग-सय- सहहं इय उज्जाणिय-नरिण
तसु तोसिग उक्कोसियउं कणय- दाणु वियरेवि । गमिरागमिरिण सुर-गणिण पूरिउ गयणु निवि ||
सुग-मग्गु साहंतु चि ।
पहु-पणिहि विसयम्मिसि ||
[३०८७]
समुदविजइण सहिउ सिवदेवि
परियरिउ महुमहणु सयले हिं विजयविहि चलियउ सिरि- रहनेमि सिरिहरिस - वियासिय-मुह-कमल ३०८५. १. क. उप्पन्नुं
फुरिय- गरुय - आणंद - वित्थरु | समगु असम-सिंगारसुंदरु || राइमईहिं समेउ । सामिहि वंदण - हेउ |
[ ३०८४
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