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६७६ नेमिनाहचरिउ
[३०२४ [३०२४]
किंतु संपइ उग्गसेणस्सु नरनाहह कन्नयह कुणसु तोसु निय-पाणि-गहणिण । जिह तूसहि सुहि-सयण तुज्झ दिट्ठ-परिणीय-वयणिण ॥ ता करयल-पिहिय-स्सवणु नेमि-कुमारु भणेइ । नणु जाणिय-भव-भावि-दुहु को परिणयणु कुणेइ ॥
[३०२५]
नियहु एगह जियह परिणयणआरंभि वि कित्तियहं जियह एहु संहारु मंडिउ । इय अ-सुहइ विसय-सुहि को-णु रमइ सु-विवेय-चड्डिउ ॥ जणणी-जणउ वि सोयरु वि परमत्थेण न कोइ । पडिरि कयंतह दडवडइ जो इह अंतरि होइ ॥
[३०२६]
तुम्ह पयडु वि कंसु सु नरिंदु सो कालु नराहिवइ गुरु-मरटु सिसुपालु निवइ सु । अवहेडिय-सत्तु-कुलु . दढ-मडप्पु जरसंधु राउ सु ॥ ता तहं तारिस रज्ज-सिरि सो तहं सयण-समूहु । किह-णु न दीसइ संपइ वि मु वि हय-रह-करिजूहु ॥
[३०२७]
भवि अणाइय-निहणि पत्ताई नाणाविह-सुह-दुहई न-उण तुहि विरइ वि पयट्टिय । तहिं रज्जि उ विक्किणिवि को रहटु वुहु लेइ वट्टिय ॥ नृण न सेय-क्कज्जि खमु काल-विलंबु वुहाहं । अवगय-चउगइ-भव-दुहहं णिगणिय-मरण-दिणाहं ॥
३०२६. २. ५. क. दढ is written over something previously written. ख. गुरु; क. राय, ख. जरसंध.
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