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३०१५]
नेमियुत्तंतु [३०१२]
इयर पभणइ - तुह पसाएण मई दिट्ठउ भइणि इहु विजिय-कुसुमकम्मुय-मडप्फरु । हउं वन्नउं तसु जि पर सुंदरीए सोहग्ग-वित्थरु ॥ जा एरिस-वच्छयलि गुरु- नयर-पओलि-विसालि । सहलिय-जोव्वण-रूव-सिरि रमिहइ अज्जु वियालि ॥
[३०१३]
ईसि विहसिवि भणइ अह अन्न जइ पिय-सहि एहु तुह मेलवेमि ता किं पयच्छहि । अह करयल-ताल-रव- पुव्वु भणइ - सवि तुहुँ ज मग्गहि ॥ इय सहि कहमवि एहु मह सोहग्गिउ संपाडि । परि अम्हहं किह एरिसई सहि लक्खणइं निलाडि ॥
[३०१४] ___ इय समुज्झिय-निय-नियासेसवावारहं सयलहं वि तिव्व-राय-विहुरिय-सरीरहं । पुर-तरुणीहिं विविह-मण- वयण-काय-गय-किरिय-पसरहं ॥ पेक्खंतउ परिचिट्ठियइं विम्हिय-मण-वावारु । उग्गसेण-निव-गिह-सविहि पत्तउ नेमि-कुमारु ॥
[३०१५]
अह तुरंतिण विविह-सहियणिण राइमइ भणिय - सहि एहि एहि निय-नयण-पुडइहिं । लायन्नामउ पियसु नेमि-पहुहु आगयह सविहिहिं ॥ अह लहु हरिसुय-हियय जाल-गवक्खिहि कन्न । अवलोयंति वि पहुहु मुहु हृय सु-झामल-वन ॥
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