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________________ ६६६ नेमिनाrafts [२९८४] पउम - परिमल - सुहय-लहरिम्मि चक्कवाय - कलहंस-सुंदरि । भमिर-मर - झंकार - मणहरि || विलसंत-सारस - सहसि परिविलसिर-कमल-वणि तीर - द्विय-तरु-नियर-प परिकीलिर- हरि करि खयर- सुर- गण - कहिय-अमेरि ॥ -फल कुसुम -भार-सुंदेरि । [२९८५ ] खीर - जल- निहि-पत्त - वित्थारि कीला-सरि पविसिउण हरि-अंतेउरिहिं सहुं अवगूढउ गोरंगिय अंजण - सिहरि व तियस - गिरि- मेहल-कय-लायन्तु ॥ समुदविजय- अंगरुडु स-हरिमु । मज्जमाणु सुहु लहइ अ-सरिस || तरुणिहिं सामल - वन्तु । Jain Education International 2010_05 [२९८६] सुहय जोइन जोइ इहु मीणु इय जंपिर का वि तसु कवि कुमर किमेउ इय नेमि व निद्ध-निरिक्खणिहिं इग संभावइ जाव । वहुहिं तवज्जइ ताव ॥ ईसा- उदुंदुर-मणिहिं वह घर उरयल भीडिवि । भणिर लग्ग तसु अंगि धाविव ॥ [२९८७] सलिल - कीलहिं एहि पज्जत्तु अरि भाउ चलहु जिह सिरि- नेमकुमार वरु दाहिण -कर- अवलंवणिण जाता सुजि गंभीर-जलि खिवर्हि पोढ - रमणीउ ॥ नियय ठाणि गम्मइय जंपिरु | पच्छहुत्त चलणिहिं विसप्पिरु || कड्ढइ कवि तरुणीउ । २९८४. क. लहरिमि. २९८७. ५. क. चलणिहिं ९. क. रमणीओ. For Private & Personal Use Only [ २९८४ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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