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नेमिवुत्तंतु [२९८०]
पत्त उववणि नाय-पुन्नायनालियरि-लवली-लयहं नायवल्लि-मुदिय-लवंगहं । खजूरि-सहयार गुरु- ताल-साल-पुप्फलि-असोगहं ॥ मालइ-मल्लिय-केयइहिं करुणि-कयलि-एलाहं । कप्पूरागुरु-चंदणहं सातलि-वियइल्लाहं ॥
[२९८१]
खणु नियंतय कुसुम-फल-रिद्धि खणु वार-विलासिणिहिं ललिय-गीय-सुह-अमय-सित्तय । खणु हरिसिण मग्गणहं कुसुम-कणय-रयणाणि देंतय ॥ खणु कारितय भारहिय- नट्टारंभ-विसेसु। खणु चिट्ठहिं पेक्खंत कलहंसय-मिहुण सरेसु ॥
[२९८२] __ असम-विलसिर-वहल-लायन्न संपुन्न-जोव्वण-भरिण फुरिय गरुय-पडिवक्ख-खंडण । संतोसिय-सुहि-सयण दढ-पइन्न दुन्नय-विहंडण ॥ पोढ-नियंविणि-माण-गुरु- तरुयर-दलण-कुढार । कीलहिं वहु-भेएहिं तहिं मुररिउ-नेमिकुमार ॥
[२९८३]
पत्त-अवसरु हरिहि वयणेण निय-भाउज्जाय-सय- सहिउ जाय-अंदोलण-स्समु । सव्वंगु वि करिवि लहु समय-उचिउ सिंगारु निरुवम् ॥ समुदविजय-निव-अंगरुहु दिणयर-कर-संतत्तु । नेमि-कुमरु तिहुयण-तिलउ जल-कीलण-कय-चित्तु ॥
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